सफलता: गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीड का बीआरटीओ प्रक्रिया से हुआ सफल स्थाई इलाज, 3 साल से महिला थी परेशान...
क्रोनिक लिवर डिजीज ग्रस्त बुजुर्ग महिला की रक्तस्रावी गैस्ट्रिक वेरिस को लेन रीनल शंट के साथ पूर्वगामी और प्रतिगामी अवरुद्ध करते हुए जीवन के लिए खतरा बनी आँत की ब्लीडिंग के लिए संभवतः काशी क्षेत्र का पहला सफल इलाज किया.
वाराणसी। जीवन एवं मृत्यु से संघर्ष कर रही 3 वर्षों से क्रोनिक लिवर डिजीज से ग्रस्त 64 वर्षीय बुजुर्ग महिला जो निरंतर अत्याधिक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीड से पीड़ित थीं, कई मेट्रो शहरों के अनेकों उन्नत केंद्रों से उपचार एवं परामर्श के दौरान स्थाई इलाज के लिए उन्हें लिवर प्रत्यारोपण की सलाह मिली. मरीज आर्थिक दृष्टि से सर्जरी का खर्च वहन करने में सक्षम नहीं था. पिछले छह माह में आँत से निरंतर अत्याधिक रक्तस्राव की शिकायत के साथ मरीज एपेक्स हॉस्पिटल के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विभाग में डॉ रवि कान्त ठाकुर से परामर्श ले रही थीं.
पारंपरिक इलाज से लाभ न होने पर एंडोस्कोपी, एबडोमेन सीटी एंजियोग्राफी एवं अन्य जाँचों की रिपोर्ट के आधार पर गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट डॉ ठाकुर द्वारा उन्हें कैथ लैब में नॉन इन्वेसिव इन्टरवेंशनल बीआरटीओ प्रक्रिया की सलाह दी गई. मरीज की सहमति के उपरांत इन्टरवेनशनल रेडियोलॉजिस्ट की सहायता से बलून-अवरुद्ध प्रतिगामी ट्रांसवेनस ऑबलीट्रेशन (बीआरटीओ) प्रक्रिया द्वारा कॉइल की सहायता से क्रोनिक लिवर डिजीज ग्रस्त बुजुर्ग महिला की रक्तस्रावी गैस्ट्रिक वेरिस को लेन रीनल शंट के साथ पूर्वगामी और प्रतिगामी अवरुद्ध करते हुए जीवन के लिए खतरा बनी आँत की ब्लीडिंग के लिए संभवतः काशी क्षेत्र का पहला सफल इलाज किया. मरीज स्थिर है और तीन दिन में ही हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हो गई.