विहिसे अध्यक्ष का फिर 'मंत्री नारायण राणे' को लेकर विवादित ऐलान: कहा मरने के बाद काशी में नहीं होने दूंगा अस्थियां विसर्जित, डेढ़ माह में नहीं तलाश पाई तीन थानों की पुलिस

विहिसे अध्यक्ष का फिर 'मंत्री नारायण राणे' को लेकर विवादित ऐलान: कहा मरने के बाद काशी में नहीं होने दूंगा अस्थियां विसर्जित, डेढ़ माह में नहीं तलाश पाई तीन थानों की पुलिस

वाराणसी, भदैनी मिरर। जनपद के सिगरा, भेलूपुर और लंका थाने में दर्ज तीन मुकदमों के वांछित विश्व हिंदू सेना के अध्यक्ष अरुण पाठक ने एक बार फिर विवादित घोषणा की है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लेकर मोदी सरकार के मंत्री नारायण राणे द्वारा दिये गए 'थप्पङ' वाले बयान पर अरुण पाठक ने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा है कि 'जिस पॉकेटमार और टिकट ब्लैक में बेचने वाले को बाला साहेब दया करके शिव सैनिक बनाए, उसे मुख्यमंत्री भी बनाए, उसने घटिया काम किया। सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए बाला साहेब के बेटे पर आक्रमण किया। ऐसे आदमी का सिर कलम करना चाहिए और यह जो करेगा उसे मैं 51 लाख रुपए का इनाम दूंगा।'

अरुण पाठक द्वारा फेसबुक पर किया गया आपत्तिजनक घोषणा

इसके साथ ही ट्विटर एकाउंट से पोस्ट किया है कि मैं तुझसे वादा करता हूं एहसान फरामोश नारायण राणे कि तेरे मरने के बाद काशी में तेरी अस्थियां विसर्जित नहीं करने दूंगा। तेरी आत्मा सदियों तक भटकते रहेगी। इस आपत्तिजनक घोषणा के बाद फिर तरह-तरह के चर्चे है। 

अरुण पाठक का ट्वीटर पोस्ट


शिवसैनिक रहे है अरुण पाठक

वाराणसी के भेलूपुर क्षेत्र में रहने वाले अरुण पाठक पहले शिव सेना के नेता हुआ करते थे। उनका मुंबई आना-जाना लगा रहता था और ठाकरे परिवार के प्रति उनकी अगाध श्रद्धा थी। वह खुद को बाला साहब ठाकरे का अनन्य भक्त और कट्‌टर हिंदू बताते थे। शिव सेना और कांग्रेस ने महाराष्ट्र में जब सरकार बनाई तो अरुण पाठक ने इसका विरोध किया। इसके साथ ही अरुण पाठक ने विश्व हिंदू सेना के नाम से अलग संगठन बना लिया।

सिर मुड़वाने के बाद आये प्रकाश में

अरुण पाठक ने साल 2020 में अस्सी घाट पर नेपाल के मूल निवासी एक युवक का सिर मुड़वा कर जय श्रीराम लिखवाया था। इसके बाद उसी से नेपाल और चीन के विरोध में नारेबाजी कराकर वीडियो सोशल मीडिया में पोस्ट किया था। पुलिस की ओर से भेलूपुर थाने में अरुण और उनके करीबियों पर मुकदमा दर्ज कर शिकंजा कसना शुरू किया तो वह हाईकोर्ट की शरण में चले गए। इसके बाद अरुण पाठक का वाराणसी में कहीं पता नहीं लगा।
बीते जुलाई महीने में अरुण पाठक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की फोटो के साथ उन्हें लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी युक्त पोस्टर शहर में चस्पा कराए तो सिगरा, लंका और भेलूपुर थाने में 3 मुकदमे दर्ज किए गए। इसके बाद सावन के आखिरी सोमवार को अरुण पाठक के समर्थक मां श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य द्वार पर धरने पर बैठ गए थे। अरुण पाठक द्वारा पुलिस को रोजाना सोशल मीडिया पर चैलेंज किए जाने के बावजूद गिरफ्त में न आना सभी की समझ से परे है।