भाजपा के हुए राजेश मिश्रा: लोकसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस को बड़ा झटका, पूर्वांचल के इस सीट से ठोक सकते है ताल...
यूपी में सपा और कांग्रेस के गठबंधन में सीट बंटवारे के बाद कांग्रेस पार्टी नेतृत्व से खफा चल रहे वाराणसी के पूर्व सांसद डॉ. राजेश मिश्रा ने कांग्रेस को अलविदा कर दिया है.
वाराणसी,भदैनी मिरर। यूपी में सपा और कांग्रेस के गठबंधन में सीट बंटवारे के बाद कांग्रेस पार्टी नेतृत्व से खफा चल रहे वाराणसी के पूर्व सांसद डॉ. राजेश मिश्रा ने कांग्रेस को अलविदा कर दिया है. दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया. दिल्ली में रविशंकर प्रसाद और अरुण सिंह के सामने डॉक्टर राजेश मिश्र ने बीजेपी ज्वाइन की. पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें देवरिया से टिकट दिया था. उम्मीद है इस बार बीजेपी उन्हे देवरिया से टिकट दे सकती है.
भदोही से मिल सकता है टिकट
सूत्रों की माने तो भाजपा डा. राजेश मिश्रा को पूर्वांचल से टिकट भी दे सकती है. माना जा रहा है कि राजेश, भदोही लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. राजेश मिश्रा वर्ष 2004 से 2009 तक वाराणसी के सांसद रहे हैं. वे लंबे समय से कांग्रेस के फैसलों से नाराज चल रहे थे, वहीं अजय राय के प्रदेश अध्यक्ष बनने पर अपनी नाराजगी भी जाहिर की थी. उन्होंने वाराणसी में राहुल गांधी की न्याय यात्रा से भी दूरी बनाई थी, जिसके बाद भाजपा में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे.
कांग्रेस पर तंज, पीएम की तारिफ
बीजेपी में शामिल होने के बाद राजेश ने कहा कि मेरी कोशिश होगी की इस बार बनारस लोकसभा सीट पर विपक्ष के दल का जो प्रत्याशी होगा उसको पोंलिग एजेंट नहीं मिलेगा. ये सौभाग्य की बात है की मोदी जी वाराणसी के सांसद है. पूरे दुनिया में मोदी जी ने देश का नाम रौशन किया है.
राहुल की न्याय यात्रा का कोई लाभ नहीं
राजेश मिश्रा ने कांग्रेस और सपा पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश से कांग्रेस का सफाया हो गया है. उन्होंने इंडिया गठबंधन पर सवालिया निशान उठाए, कहा कि कांग्रेस के पास कार्यकर्ता तक नहीं बचे हैं. इस समय कांग्रेस का हालत बहुत दयनीय है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर भी आरोप लगाए, कहा कि उनकी यात्रा से कोई लाभ नहीं होने वाला है.
कांग्रेस के पास उम्मीदवार नहीं
अलायंस पर राजेश मिश्रा ने कहा कि यूपी में कांग्रेस ने सपा के सामने सरेंडर कर दिया. गठबंधन में कांग्रेस को जो सीट मिली है, वहां पार्टी के पास उम्मीदवार ही नहीं है. कई वरिष्ठ नेता पार्टी से नाराज हैं जो अब ज्यादा दिनों के मेहमान नहीं हैं.
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राजनीतिक सफर
वाराणसी की सियासत में राजेश मिश्र को काफी मृदुभाषी राजनेता माना जाता है। उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से छात्र राजनीति के रास्ते सियासत का ककहरा पढ़ा। 80 के दशक में वह बीएचयू छात्रसंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 1996 से 2004 तक दो कार्यकाल के लिए वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे। 1999 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के शंकर प्रसाद जायसवाल के खिलाफ कांग्रेस ने उन्हें वाराणसी से अपना उम्मीदवार बनाया। हालांकि इस चुनाव में वह हार गए। 2004 में राजेश मिश्र ने जायसवाल से अपनी हार का बदला ले लिया। लोकसभा चुनाव में उन्होंने एसपी जायसवाल को शिकस्त दी। हालांकि 2009 में लगातार तीसरी बार कांग्रेस ने राजेश मिश्र पर भरोसा जताते हुए उन्हें टिकट दिया। इस चुनाव में बीजेपी से डॉ. मुरली मनोहर जोशी और बीएसपी से मुख्तार अंसारी मैदान में थे। वहीं, बीजेपी से बगावत करने के बाद अजय राय एसपी के टिकट पर चुनाव में उतरे। माना जाता है कि इस चुनाव में वोटों के ध्रुवीकरण की वजह से राजेश मिश्र खिसककर चौथे नंबर पर चले गए। जोशी विजयी हुये थे। 2017 यूपी विधानसभा चुनाव में नीलकंठ तिवारी को बीजेपी ने मैदान में उतारा और कांग्रेस ने राजेश मिश्र को उनके खिलाफ मौका दिया। नीलकंठ तिवारी ने राजेश मिश्र को मात दे दी। 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस ने राजेश मिश्र को उन्हें गृहक्षेत्र देवरिया जिले की सलमेपुर सीट से उतारा। लेकिन महज 27 हजार 288 वोटों के साथ उनकी जमानत जब्त हो गई।