बूथ सम्मेलन में PM मोदी बोले - पार्टी को निजी प्रॉपर्टी मानने वाले नहीं कर सकते मुकाबला, हम चुनाव के साथ जनता का दिल भी जीतते है...

PM Modi said in the booth conference Those who consider the party as private property cannot compete we win the hearts of the people along with electionsबूथ सम्मेलन में PM मोदी बोले - पार्टी को निजी प्रॉपर्टी मानने वाले नहीं कर सकते मुकाबला, हम चुनाव के साथ जनता का दिल भी जीतते है...

बूथ सम्मेलन में PM मोदी बोले - पार्टी को निजी प्रॉपर्टी मानने वाले नहीं कर सकते मुकाबला, हम चुनाव के साथ जनता का दिल भी जीतते है...

वाराणसी,भदैनी मिरर। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के मैदान में PM मोदी ने रविवार को जनसभा को संबोधित किया। कहा,' जैसे आप लोगन 2014, 2017 और 2019 में साथ देहला वैसे ही 2022 में आप सबके सहयोग मिली। साथियों सबसे पहले संगठन के प्रमुखों का धन्यवाद करता हूं। दो बातें मेरे दिल को छू गई। एक इस सम्मेलन का नाम आपने बूथ विजय सम्मेलन रखा है। दूसरा मुझे मेरे प्राण प्रिय कार्यकर्ताओं के दर्शन का मौका दिया। मैं आपको एक बता बताना चाहता हूं कि जब मेरी मेरी मृत्यु की कामना की गई तो मुझे बहुत आंनद आया '।

जिस पार्टी के पास आप जैसे कर्मठ कार्यकर्ताओं की ताकत हो, उसकी जीत तो सुनिश्चित है ही। बूथ विजय सम्मेलन में आपका ये जोश, आत्मविश्वास दिखता है कि हम हर बूथ भी जीतेंगे। साथ ही पूरे क्षेत्र में फुल स्कोर भी करेंगे। मुझे काशी के स्वर्गीय डोमराजा जगदीश चौधरी जी की कमी भी महसूस हो रही है। वो मुझ पर इतना स्नेह दिखाते थे, कि मैं अभीभूत हो जाता था। मुझ जैसे कार्यकर्ता को पार्टी ने बनारस भेजा और मुझे बनारस मिल गया। मैं बनारस का ही होकर रह गया।

काशी की सेवा का, महादेव और मां गंगा के चरणों पर बैठने का जो पुण्य लाभ मुझे मिला है, ये मुझे पार्टी ने ही दिया है। हमारा संगठन एक जीवंत इकाई है। हम कार्यकर्ताओं को परिवार मानने वाले लोग हैं। अपनी पार्टी को अपनी निजी प्रापर्टी मानने वाले ये घोर परिवारवादी लोग हमारा मुकाबला नहीं कर सकते हैं। भाजपा कार्यकर्ता देश के लिए काम करते हैं, अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर, इदं न मम् के भाव से काम करते हैं।

हम सभी के लिए हमेशा से ‘व्यक्ति से ऊपर दल, और दल से ऊपर देश’ रहा है। हम चुनाव जीतते हैं लेकिन साथ ही लोगों का दिल भी जीतते हैं। पहले जिन घोर परिवारवादियों ने सरकार चलाई उनकी पार्टी की पहचान के साथ गुंडागर्दी और माफियावाद जुड़ा हुआ है। भाजपा की पहचान उनका कार्यकर्ता है। भाजपा कार्यकर्ता की पहचान उसकी सेवा है। कोरोना काल इसका ताजा उदाहरण है।


अभी शिवरात्रि आने वाली है। पूरे देश से लोग काशी आएंगे। बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए लोग घंटों तक लाइन में लगते हैं। काशी में आए बाबा के भक्त बाबा के ही रूप होते हैं। हमें इसी भाव के साथ हर श्रद्धालु की सेवा करनी है।

काशी भारत की संस्कृति की प्राचीन राजधानी रही है।लेकिन, पिछली सरकारों ने बनारस को विकास से वंचित रखकर यहां के लोगों को परेशानियों के गर्त में धकेलने की कोशिश की। महादेव के आशीर्वाद से आज बनारस बदल रहा है। आज काशी विश्वनाथ धाम, काशी और देश की गरिमा के अनुरूप हमारी पहचान की भव्य झांकी बनकर खड़ा है। कितने समय बाद, बाबा का धाम और मां गंगा फिर से एक बार जुड़े हैं।

जब ये घोर परिवारवादी सरकार में थे, तो यूपी के विकास के लिए, गरीबों के लिए हम जो भी काम लेकर आते थे, उसमें ये अड़ंगा लगा देते थे। लेकिन बीते पांच साल में डबल इंजन की सरकार ने यूपी के विकास की पूरी ईमानदारी से कोशिश की है। कोरोना काल के दौर में पार्टी ने 'सेवा ही संगठन' अभियान चलाया। मैं जानता हूं कि किस तरह भाजपा का हर एक कार्यकर्ता जन सामान्य की सेवा के लिए लगा रहा।

हमारे कार्यकर्ताओं ने लोगों तक राशन पहुंचाया, घर-घर दवाईयां पहुंचाई, मास्क बांटे। हम सेवा करने के लिए ही राजनीति में आए हैं। ये एक-दो दिन की रिहर्सल नहीं, एक दो साल का कोर्स नहीं है, बल्कि सेवा एक माहयज्ञ है, जो जीवन की आखिरी सांस तक अनवरत चलते रहना चाहिए। मैंने इस बार लाल किले से कहा है कि 100% लाभार्थियों तक जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचना चाहिए।

जब ऐसा होगा तो न तुष्टिकरण की कोई संभावना होगी, न किसी भेदभाव की। इस काम में भाजपा कार्यकर्ताओं की बहुत बड़ी भूमिका है। काशी तो अविनाशी कही जाती है।और काशी के लोग जब विश्वनाथ धाम परियोजना को लेकर गर्व का अनुभव कर रहे थे, तो उस समय हमने एक और अनुभव किया। हम सभी ने देखा कि भारत की राजनीति में कुछ लोग किस हद तक नीचे गिर गए हैं।

मैं किसी की व्यक्तिगत आलोचना करना पसंद नहीं करता और ना ही किसी की आलोचना करना चाहता हूं। लेकिन जब सार्वजनिक रूप से काशी में मेरी मृत्यु की कामना की गई, तो वाकई मुझे बहुत आनंद आया, मेरे मन को बहुत सुकून मिला। मुझे लगा कि मेरे घोर विरोधी भी ये देख रहे हैं कि काशी के लोगों का मुझ पर कितना स्नेह है। उन लोगों ने तो मेरे मन की मुराद पूरी कर दी। इसका मतलब ये कि मेरी मृत्यु तक ना काशी के लोग मुझे छोड़ेंगे और ना ही काशी मुझे छोड़ेगी।

उन घोर परिवारवादियों को मालूम नहीं है कि ये जिंदा शहर बनारस है! ये शहर मुक्ति के रास्ते खोलता है। और अब बनारस, विकास के जिस रास्ते पर चल पड़ा है, वो देश के लिए गरीबी से मुक्ति के रास्ते खोलेगा, अपराध से मुक्ति के रास्ते खोलेगा। काशी में घाटों पर, मंदिरों पर बम विस्फोट होते थे। आतंकवादी बेखौफ थे, क्योंकि तब की समाजवादी सरकार उनके साथ थी। सरकार आतंकियों से खुलेआम मुकदमे वापस ले रही थी। लेकिन, काशी कोतवाल बाबा कालभैरव के आगे इनकी चलने वाली थी क्या?

पिछली सरकारों ने काशी को विकास से वंचित कर रखा था। घोर परिवारवादियों ने यह धारणा बना रखी थी कि बनारस बदहाल रहा है और ऐसा ही रहेगा। लेकिन, बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से आज काशी बदल रही है। कितने समय बाद बाबा का धाम और मां गंगा एक-दूसरे से जुड़े हैं।