PHOTOS बाढ़ बनी आफत! खतरे के निशान से 78 सेंटीमीटर ऊपर बह रही गंगा, राहत शिविरों में बढ़ता जा रहा दबाब
वाराणसी, भदैनी मिरर। जीवनदायिनी गंगा के वेग में वाराणसी में कमी नहीं आ रही है। बुधवार की सुबह वाराणसी में गंगा खतरा निशान से 78 सेंटीमीटर ऊपर बह रही हैं। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार सुबह 10 बजे गंगा का जलस्तर 72.04 मीटर दर्ज किया गया। वाराणसी में गंगा का खतरा बिंदु 71.26 मीटर है। गंगा में आई बाढ़ के कारण पलट प्रवाह के चलते वरुणा भी विध्वंसकारी रूप में हैं। गंगा, वरुणा, असि, गोमती, नाद और कैथी नदी में आई बाढ़ के चलते शहर से लेकर गांवों तक 58 गांव, मोहल्ला व वार्ड के 31 हजार से ज्यादा लोग अब तक प्रभावित हुए हैं। वाराणसी में बाढ़ की विकरालता को देख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा से अपने संसदीय क्षेत्र का हाल जाना। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की आवश्यकता हो तो तत्काल बताएं, हम हरसंभव मदद करेंगे।
वहीं, नदी विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह से जलस्तर बढ़ रहा है और जैसे बारिश के आसार हैं उसे देख कर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि गंगा साल 2013 का 72.63 मीटर का रिकार्ड इस बार तोड़ न दें। गौरतलब है कि वाराणसी में गंगा का बाढ़ का उच्चतम बिंदु 73.90 मीटर साल 1978 में दर्ज किया गया था।
वाराणसी की सामने घाट क्षेत्र की आधा दर्जन कॉलोनियां, रमना, मदरवा और वरुणा किनारे के तकरीबन 30 मुहल्लों में अब चोरी और लूटपाट का खतरा बढ़ गया है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि इन इलाकों में चौतरफा पानी ही पानी होने के कारण पुलिस रात में गश्त बंद कर दी है। रात में अंधेरे में मोटरबोट के सहारे बाढ़ के दिनों में गश्त संभव भी नहीं है। इसके अलावा बाढ़ प्रभावित इलाकों में संक्रामक रोगों का खतरा भी बढ़ गया है। अब जब पानी कम होगा तभी इन क्षेत्रों में दवाओं का छिड़काव होगा। ऐसे में जलस्तर सामान्य होने के बाद भी स्थितियां सामान्य होने में फिलहाल लंबा समय लगेगा।
सड़कें डूबी, गांवों में फसलें हुई जलमग्न
वाराणसी में गंगा और वरुणा का बाढ़ पानी अब गलियों से होते हुए सड़कों की ओर बढ़ने लगा है। इससे लोगों को आवागमन में परेशानी होने के साथ ही दुघर्टना का खतरा बढ़ गया है। उधर, जिले के शाहंशाहपुर में टमाटर और मिर्च की पूरी फसल जलमग्न हो गई है। शाहंशाहपुर का टमाटर और मिर्च गैर जनपदों को भी जाता है। इसके अलावा चौबेपुर के ढाब क्षेत्र के दर्जनों गांवों की फसल गंगा के कारण और चोलापुर, लोहता व पिंडरा क्षेत्र के गांवों की फसल वरुणा के पानी के कारण जलमग्न हो गई है। मेहनत कर उगाई गई फसल को बाढ़ के पानी में डूबते देख किसान खून के आंसू रोने को विवश हैं।
जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बताया कि बाढ़ प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के साथ ही उनके मवेशियों के लिए भी व्यवस्था की जा रही है। कहां कितनी फसल का नुकसान हुआ है, इसकी रिपोर्ट सभी उप जिलाधिकारियों से मांगी गई है। जिला प्रशासन शहरी क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित लोगों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के सुख-दुख में साथ खड़ा है। इस प्राकृतिक आपदा का हम सभी एकजुटता के साथ मजबूती से सामना करेंगे और जल्द ही स्थिति एक बार फिर सामान्य होगी।