IIT-BHU का लापता पीएचडी स्कॉलर मिला: 72 घंटे में पुलिस ने खंगाला हजारों CCTV फुटेज, भदोही तक चलता रहा पैदल
आईआईटी-बीएचयू कैंपस से मैकेनिकल से पीएचडी स्कॉलर करने वाले गुरुदयाल कुमार को पुलिस में गुमशुदगी दर्ज होने के बाद 72 घंटे में परिजनों से मिलवाया है.
वाराणसी, भदैनी मिरर। आईआईटी-बीएचयू कैंपस से मैकेनिकल से पीएचडी स्कॉलर करने वाले गुरुदयाल कुमार को पुलिस में गुमशुदगी दर्ज होने के बाद 72 घंटे में परिजनों से मिलवाया है. इन 72 घंटे में चौकी प्रभारी बीएचयू शिवाकर मिश्रा की टीम कमांड सेंटर और निजी करीब हजारों फुटेज को खंगाला. लंका पुलिस से परिजनों ने 9 सितंबर को संपर्क कर आईआईटी- बीएचयू के एस.एन. बॉस छात्रावास के कमरा संख्या 115 से गायब होने की सूचना दी. जिसके बाद पुलिस तलाश में जुटी. पुलिस ने तनावग्रस्त गुरुदयाल कुमार को परिजनों को सौंपते हुए काउंसलिंग और इलाज करवाने की सलाह दी है.
4 सितंबर से ही नहीं उठ रहा था परिजनों का फोन
लंका पुलिस ने बताया कि गुरुदयाल कुमार वर्ष 2009 में एमटेक पासआउट है. वह जॉब करके अपनी अच्छी लाइफ स्टाइल जीता था. 41 वर्षीय गुरुदयाल की कोविड के दैरान जॉब छूट गई और तबसे वह धीरे-धीर डिप्रेशन का शिकार हो गया. गुरुदयाल गेट का एग्जाम देकर मैकेनिकल से पीएचडी करने के लिए आईआईटी- बीएचयू में जुलाई माह में एडमिशन लिया था. गुरुदयाल कुमार 4 सितंबर से ही परिजनों का फोन उठाना बंद कर दिया. मुंगेर (बिहार) से परिजन जब पहुंचे और काफी तलाश करने के बाद भी जब सुराग नहीं मिला तो लंका पुलिस से संपर्क साधा. जिसके बाद बीएचयू चौकी प्रभारी शिवाकर मिश्र और सर्विलांस की टीम तलाश में जुटी.
6 सितंबर को कैंपस से निकलते दिखा
जब पुलिस और सर्विलांस की टीम ने कैंपस का सीसीटीवी फुटेज खंगाला शुरु किया तो 6 सितंबर को गुरुदयाल कमरे में ही फोन, लैपटॉप सब छोड़कर बाहर निकलते दिखा. जिसके बाद पुलिस टीम सीसीटीवी फुटेज को खंगालती चली गई. पुलिस को अचानक गुरुदयाल नुआव बाईपास अंडरपास पर दिख गया. जिसके बाद पुलिस पीछा सीसीटीवी खंगालती चली गई. जिसके बाद पुलिस को मोहनसराय के आगे तक फुटेज में गुरुदयाल दिखा.
चला गया था चित्रकूट
गुरुदयाल ने पुलिस को बताया कि उसका 8 सितंबर से परीक्षा था. उसे लगता था कि वह फेल हो जायेगा. जिससे वह डिप्रेशन में चला गया. उसने बताया कि भदोही तक वह पैदल ही चला गया. वहां से ट्रेन से प्रयागराज और फिर चित्रकूट गया, दर्शन-पूजन कर वह फिर प्रयागराज आया. प्रयागराज से वह सारनाथ पहुंचा. वाराणसी से निराश होकर घर लौट रहे परिजनों को बुलाकर पुलिस ने सौंपा.