शरीर पर टैटू गुदवाने के है शौकीन तो हो जाए सावधान! फैल रहा एड्स..!

अगर आप भी टैटू बनवाना चाहते हैं तो जरा सावधान हो जाएं। क्योंकि यह एक जानलेवा बीमारी का कारण भी बन सकता है। हाल ही में ऐसा ही एक मामला सामने आया है।

शरीर पर टैटू गुदवाने के है शौकीन तो हो जाए सावधान! फैल रहा एड्स..!

वाराणसी, भदैनी मिरर। बदलती लाइफस्टाइल और तेजी से बढ़ते फैशन के दौर में इन दिनों में युवाओं में टैटू का भी काफी क्रेज है। सिर्फ युवा ही नही  बल्कि टैटू का ट्रेंड बच्चों से लेकर बड़ों तक को आकर्षित कर रहा है। टैटू देखने में सबको अच्छे लगते हैं। लेकिन अगर आप भी टैटू बनवाना चाहते हैं तो जरा सावधान हो जाएं। क्योंकि यह एक जानलेवा बीमारी का कारण भी बन सकता है। हाल ही में ऐसा ही एक मामला सामने आया है।

बड़ागांव निवासी 20 वर्षीय जयंत (परिवर्तित नाम) ने गांव में लगे मेले में अपने हाथ में बड़े ही शौक से टैटू बनवाया। इसके कुछ माह बाद उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। बुखार के साथ ही उसका शरीर कमजोर होता गया। तमाम उपचार के बाद  भी आराम नहीं मिला तो चिकित्सकों ने उसकी एचआईवी जांच कराई। जांच के बाद जब उसे बताया गया कि वह एचआईवी पाजीटिव है तो खुद जयंत को भी इस बात का यकीन नहीं हुआ कि रिपोर्ट सही है। वह चिकित्सक से कहने लगा कि उसकी अभी शादी नहीं हुई है। न ही उसका किसी से भी शारीरिक संम्बन्ध है। न ही कभी किसी कारण से उसे खून चढ़ाया गया। ऐसे में वह एचआईवी पाजीटिव भला कैसे हो सकता है। पर जब चिकित्सकों ने उसे समझाया कि यह सब टैटू बनवाने की वजह से हुआ है तो उसके होश उड़ गए।

वहीं नगवां की रहने वाली युवती सेफाली (परिवर्तित नाम) के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। फेरी वाले से उसने टैटू बनवाया। इसके कुछ ही दिनों बाद उसकी हालत बिगड़ने लगी। जांच में उसके एचआईवी पाजीटिव होने का पता चला।सिर्फ जयंत और सेफाली ही नहीं बल्कि ऐसे कई लोग है जो टैटू बनवाने के बाद एचआईवी पाजीटिव हुए।

 पं. दीन दयाल उपाध्याय चिकित्सालय स्थित एंटी रेट्रोवायरल ट्रीटमेंट (एआरटी) सेंटर की वरिष्ठ चिकित्सक डा. प्रीति अग्रवाल बताती हैं इन सभी लोगों का एचआईवी संक्रमित होने के मुख्य कारणों से दूर तक का वास्ता नहीं । मसलन न तो उन्होंने असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाये थे और न ही उन्हें संक्रमित रक्त चढ़ाया गया था। सेंटर में जब उनकी काउंसलिंग की गयी तो पता चला कि टैटू बनवाने के बाद वे इस बीमारी से ग्रसित हुए हैं।

डॉ प्रीति बताती हैं कि समस्या के मूल में संक्रिमित सुई के प्रयोग से टैटू बनाना है। दरअसल टैटू जिस सुई से बनायी जाती है वह काफी महंगी होती है। नियमतः तो किसी एक का टैटू बनाने के बाद उस सुई को नष्ट कर देना चाहिए पर अधिक कमाई के चक्कर में टैटू बनाने वाले एक ही सुई का इस्तेमाल कई लोगों का टैटू बनाने में करते हैं। उधर टैटू बनवाने वाले लोग इस खतरे से अनभिज्ञ होते हैं। वह यह भी नहीं देखते कि टैटू बनाने वाले ने मशीन में नई सुई लगायी है या नहीं। ऐसे में यदि किसी भी एचआईवी संक्रमित का उस सुई से टैटू बना होगा तो अन्य लोगों में एचआईवी का खतरा होने की पूरी संभावना होती हैं।
 

इन स्थानों से न बनवाएं टैटू

डा. प्रीति अग्रवाल बताती है कि टैटू गुदवाने से पहले काफी सावधानी बरतनी चाहिए। पैसे बचाने के चक्कर में किसी मेले में अथवा फेरी वाले से टैटू बनवाना भारी पड़ सकता है। वह कहती हैं कि टैटू बनवाने से पहले यह जरूर देखना चाहिए कि उसने मशीन में नई सुई लगायी है या नहीं। जिन लोगों ने हाल ही में टैटू बनवाये हो उन्हें अपनी एचआईवी जांच जरूर करानी चाहिए ताकि यदि किसी लापरवाही के चलते उन्हें संक्रमण हुआ हो तो वह उसका तत्काल उपचार शुरू कर सकें। उपचार में देरी जानलेवा हो सकती है।