BHU में गंगा शोध केंद्र बंद करने का गंगा मित्रों ने जताया विरोध, VC आवास का घेराव कर सौंपा ज्ञापन

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में संचालित गंगा शोध केंद्र को अब विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बंद करने का निर्णय लिया गया है. इस फैसले के खिलाफ गंगा केंद्र से जुड़े गंगा मित्रों ने मंगलवार को कुलपति आवास के बाहर प्रदर्शन किया

BHU में गंगा शोध केंद्र बंद करने का गंगा मित्रों ने जताया विरोध, VC आवास का घेराव कर सौंपा ज्ञापन

वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में संचालित गंगा शोध केंद्र को अब विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बंद करने का निर्णय लिया गया है. इस फैसले के खिलाफ गंगा केंद्र से जुड़े गंगा मित्रों ने मंगलवार को कुलपति आवास के बाहर प्रदर्शन किया और उन्हें ज्ञापन पत्र सौंपा.  


 
धरना दे रहे प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस शोध केंद्र से जुड़े करीब 500 से अधिक गंगा सेवा मित्र अब बेरोजगार हो गए हैं. उनकी मांग है कि इस केंद्र को सुचारू रूप से संचालित रहने दिया जाए. उन्होंने कहा कि इस केंद्र से 700 से अधिक गंगा मित्रों का रोजगार जुड़ा हुआ था. आखिरकार, बिना किसी उचित जांच के इसे अचानक क्यों बंद कर दिया गया? उन्होंने बताया कि इस संबंध में हमने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा है. आज हमने इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने के लिए कुलपति को चीफ प्रॉक्टर के माध्यम से ज्ञापन सौंपा है.


1. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कार्यकारिणी द्वारा 21 अप्रैल 2015 में गठित्त भारतरत्न महामना मालवीय के नाम पर चलने वाला एक मात्र वर्किंग गंगा सेंटर को काल्पनिक सेंटर बताकर बिना किसी जांच पड़ताल के किये ही बंद किया जाना. 

2. गंगा शोध केन्द्र को बंद करने में विश्वविद्यालय के नियमों को अनदेखा किया जाना, जबकि अन्य सेंटर को बंद करने से पहले दो से तीन कमेटी बनाकर जमीनी स्तर पर 6 माह तक अलग-अलग रिपोर्ट लिया गया फिर एकेडमी काउन्सिल के मिटिंग में बंद होने का निर्णय लिया गया.

3. गंगा शोध केन्द्र के विशेषरूप से प्रशिक्षित ईको स्किल्ड गंगामित्रों में खर्च हुआ धन निरर्थक साबित होना एवं मा गंगा के हर पहलू को कम्यूनिटी स्तर तक पहुंचाने का कार्य भी अवरोध होना.

4. इस निर्णय से केन्द्र से वर्ष 2017 से लगातार कार्यरत तकनीकी प्रशिक्षित प्रास 700 गंगामित्र एवं प्रयागराज से बलिया तक 7 जिलों में जल संरक्षण समितियों में कार्यकर्ता एवं शोसलवर्कर के रूप कार्यरत 30,000 जल संरक्षक की नेटवर्किंग का ध्वस्त हो जाना.

गंगामित्रों ने मांग की है कि इसकी अविलम्ब जांच हो और विश्वविद्यालय के कुलपति को महामना मालवीय गंगा शोध केंद्र को बंद करने का निर्णय तत्काल प्रभाव से वापस लेकर इसके पुनर्सचालन के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाय, जिससे वाराणसी एवं अन्य जिलों में नमामिगंगे परियोजना का कार्य निर्वाधरूप से चलता रहे व ईको स्किल्ड गंगामित्र प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के अन्य जनपदों में नये जोश के साथ अनवरत होकर सक्रिय भूमिका निभा सके.