डीएम का निर्देश जिले के सभी होटल संचालक 30 सितंबर तक ले लें सभी विभागों से NOC, उसके बाद होगी कार्यवाही...
जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने जनपद वाराणसी के सभी होटल, अतिथि गृह, धर्मशाला के स्वामियों और प्रबन्धकों को अवगत कराया है कि 30 सितम्बर तक अपने होटल, अतिथि गृह, धर्मशाला आदि का नगर निगम, वाराणसी या स्थानीय निकाय, विद्युत सुरक्षा विभाग, अग्निशमन विभाग, लोक निर्माण विभाग, राजस्व विभाग, पुलिस विभाग, पर्यटन विभाग व वाराणसी विकास प्राधिकरण विभागों से अनापत्ति पत्र प्राप्त कर उनका सराय अधिनियम के प्राविधानों के अन्तर्गत पंजीकरण करा लें.
वाराणसी। जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने जनपद वाराणसी के सभी होटल, अतिथि गृह, धर्मशाला के स्वामियों और प्रबन्धकों को अवगत कराया है कि 15 दिन के अन्दर 30 सितम्बर तक अपने होटल, अतिथि गृह, धर्मशाला आदि का नगर निगम, वाराणसी या स्थानीय निकाय, विद्युत सुरक्षा विभाग, अग्निशमन विभाग, लोक निर्माण विभाग, राजस्व विभाग, पुलिस विभाग, पर्यटन विभाग व वाराणसी विकास प्राधिकरण विभागों से अनापत्ति पत्र प्राप्त कर उनका सराय अधिनियम के प्राविधानों के अन्तर्गत पंजीकरण करा लें.
उन्होंने सख्त निर्देश देते हुए कहा कि सभी गैर पंजीकृत प्रतिष्ठान यदि 15 दिन में अपनी आठ अनापत्ति प्रस्तुत कर पंजीकरण नहीं कराते हैं, तो उन पर विधिक कार्यवाही अमल में लाई जाएगी. जिन प्रतिष्ठानों ने सराय एक्ट में पंजीकरण हेतु आवेदन किये हैं पर उक्त आठ प्रकार की अनापत्ति प्रस्तुत नहीं की है वे भी 15 दिन के भीतर उन्हें प्रस्तुत कर दें अन्यथा उनके आवेदन निरस्त कर दिये जाएंगे. यदि होटल, अतिथि गृह, धर्मशाला आदि पूर्व से सराय अधिनियम के अन्तर्गत जनपद वाराणसी में पंजीकृत हैं तो वे भी पुनः सभी आठ विभागों की अनापत्ति अपर जिलाधिकारी प्रोटोकाल कार्यालय में 15 दिन के अन्दर प्रस्तुत कर दें. ये अनापत्ति जिस वर्ष में जारी की गयी थी, उसी मूल अनापत्ति की सत्यापित प्रतिलिपि जमा कराई जा सकती है. यदि वे पूर्व में जारी कराई गयी है, तो पुनः नये सिरे से जारी नहीं करायी जानी है, उन्ही पुरानी अनापत्ती की सत्यापित प्रतिलिपि उपलब्ध करायी जानी है.
पूर्व में सराय एक्ट में पंजीकृत सभी प्रतिष्ठानों की पत्रावलियां पुनः इन सभी आठ विभागों की अनापत्ति हेतु वेरीफाई करायी जा रही हैं. 30 सितम्बर तक उक्त सभी अनापत्ति पत्र प्राप्त न होने व पत्रावली पूर्ण न होने की दशा में विधिक कार्यवाही अमल में लाई जायेगी. जिसके लिए प्रतिष्ठान स्वामी/प्रबन्धक स्वयं जिम्मेदार होंगे. उक्त सभी प्रतिष्ठानों को अलग से कोई नोटिस निर्गत नहीं किया जायेगा.