संतान प्राप्ति की लालसा में स्नानार्थियों ने किया लोलार्क कुंड में स्नान,सुरक्षा के रहे कड़े प्रबंध
लोलार्क षष्ठी के अवसर पर संतान प्राप्ति और आरोग्य की कामना के साथ भदैनी स्थित लोलार्क कुंड में लाखों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई।
वाराणसी,भदैनी मिरर। लोलार्क षष्ठी के अवसर पर संतान प्राप्ति और आरोग्य की कामना के साथ भदैनी स्थित लोलार्क कुंड में लाखों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। कुंड में स्नान के लिए बुधवार दोपहर से ही पूर्वांचल समेत देश भर के राज्यों से श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। गुरुवार की भोर से ही श्रद्धालुओं की कुंड में स्नान के लिए कतारें लगी रहीं।
बता दें कि कुंड से लेकर गली और सड़क तक श्रद्धालु स्नान के लिए कतारबद्ध हो गए थे। शाम होते-होते एक कतार सोनारपुरा से आगे तो दूसरी कतार गंगा घाट की तरफ बढ़ चली थी। वहीं स्थानीय लोगों ने भी श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अपने-अपने घरों के दरवाजे खोल दिए थे। किसी ने पानी का इंतजाम किया तो किसी ने चाय का। श्रद्धालुओं की कतार के कारण अस्सी और भदैनी की गलियों में जाम जैसी स्थिति हो गई।
इस दौरान लोलार्केश्वर महादेव मंदिर के महंत रमेश पांडेय ने बताया कि लोलार्क कुंड में स्नान के बाद लोलार्केश्वर महादेव की पूजा का विधान है। यह विश्व का इकलौता शिवलिंग है जिसका अर्घा पूरब मुखी है। मान्यता है कि भगवान सूर्य ने तपस्या के बाद स्वयं इस शिवलिंग को यहां स्थापित किया था। यहां की गई पूजा सूर्य भगवान को पहुंचती है लेकिन उसका फल उन्हें महादेव देते हैं।
लोलार्क कुंड के प्रधान पुजारी रमेश कुमार पांडे के मुताबिक लोलार्क षष्ठी के दिन लोलार्क कुंड में स्नान करने से संतान की प्राप्ति का फल प्राप्त होता है। साथ ही चर्म रोगों का भी निवारण होता है। मान्यता है कि सूर्य भगवान का मन काशी के दर्शन से अत्यंत लोल (विस्मृत) हो गया था। इस कारण ही वहां पर सूर्य का नाम लोलार्क पड़ गया। काशी के दक्षिण दिशा में असि-संगम के समीप ही लोलार्क विराजमान हैं। अगहन मास के किसी रविवार को सप्तमी या षष्ठी तिथि को लोलार्क की यात्रा करके मनुष्य समस्त पापों से मुक्ति पा जाता है। सूर्यग्रहण के समय स्नान और दान से कुरुक्षेत्र का दस गुना फल प्राप्त होता है। माघ मास की शुक्ल सप्तमी के दिन स्नान से मनुष्य अपने सात जन्म के संचित पापों से तुरंत मुक्त हो जाता है। जो भी पवित्र व्रत धारण कर हर रविवार लोलार्क के दर्शन करतना है, उसे इस लोक में कोई दुख नहीं भोगना पड़ता। हर रविवार लोलार्क के दर्शन कर उनका पादोदक सेवन करने वाले को दाद-खुजली इत्यादि रोग भी नहीं होता।