ज्ञानपावी प्रकरण पर बोले शंकराचार्य निश्चलानंद- रहीम और रसखान की शैली अपनाएं मुसलमान, मिलकर हमारे साथ चलें...
श्रीगोवर्धन मठपुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने ज्ञानवापी प्रकरण पर कहा है की मुसलमान सज्जनों से हमारा अनुरोध है कि उनके पूर्वजों ने मानवाधिकार की सीमा का अतिक्रमण कर जो कुछ कदम उठाया था, उसे आदर्श न मानें।
वाराणसी,भदैनी मिरर। मुसलमान सज्जनों से हमारा अनुरोध है कि उनके पूर्वजों ने मानवाधिकार की सीमा का अतिक्रमण कर जो कुछ कदम उठाया था, उसे आदर्श न मानें। मानवता का परिचय देकर वह हमारे साथ मिलकर चलें। रहीम और रसखान की शैली में अपने जीवन को ढालने का प्रयास करें। उक्त बातें श्रीगोवर्धन मठपुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने मां शृंगार गौरी प्रकरण को लेकर बुधवार को वाराणसी में कही। उन्होंने कहा पूर्व में ज्ञानवापी का जो स्वरूप था, उसे एक बार फिर उसी स्वरूप में होना चाहिए।
शंकराचार्य ने कहा कि मोहम्मद साहब और ईसा मसीह के पूर्वज कौन थे, डंके की चोट से यह तथ्य साबित है कि सबके पूर्वज सनातनी आर्य थे। जो मुसलमान हिंदुओं को काफिर कहता है, वह यह समझ ले कि जो कुछ कहता है अपने पूर्वजों को कहता है।
जिसे जो कहना है प्रमाण के साथ कहे
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने कहा कि अब हम स्वतंत्र भारत में हैं। अब हमें यह प्रयास करना चाहिए कि अब हम अपने ध्वस्त मान बिंदुओं को प्रतिष्ठित करें। ऐसा करने से हमें दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती है। हम भविष्यवाणी ही नहीं करते हैं, बल्कि भविष्य का निर्माण भी करते हैं। श्रीराम सेतु से लेकर अयोध्या का रामलला मंदिर तक इसके उदाहरण हैं। मोदी और योगी जो चाहें श्रेय लें, हमें श्रेय नहीं लेना है। मगर, हमें मानवाधिकारों का ध्यान रखते हुए अपने मान बिंदुओं को प्रतिष्ठित करने के लिए लगातार प्रयास करते रहना चाहिए।
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने कहा कि ताजमहल से लेकर मक्का तक कई उदाहरण हैं, जहां सब कुछ साबित है। इसलिए हम इतना ही कहेंगे कि सभी लोग शांति का परिचय दें। बुद्धि सदैव सत्य का साथ देती है। पूरी दुनिया जानती है कि सत्य क्या है और यदि किसी को कुछ कहना है तो वह प्रमाण के साथ बात करे। शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने बताया कि वह काशी प्रवास के दौरान हिंदुओं के हित को ध्यान में रखते हुए बैठक करेंगे। हिंदू राष्ट्र संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया है।