मौन रहकर श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई डुबकी, ठंड और गलन पर आस्था भारी, देवालयों में भी रेला...
Staying silent the devotees took a dip in the Ganges faith in the cold and melting was heavy there was a train in the temples tooमौन रहकर श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई डुबकी, ठंड और गलन पर आस्था भारी, देवालयों में भी रेला...
वाराणसी,भदैनी मिरर। धर्म-संस्कृति और शिक्षा की राजधानी काशी में ठंड और कोहरे पर मंगलवार को आस्था भारी पड़ी। माघ मास के अमावस्या (मौनी अमावस्या) पर स्नाननार्थियों की भारी भीड़ उमड़ी। इस बार मौनी अमावस्या भौमवती अमावस्या का अद्भुत संयोग मिलने से लाखों श्रद्धालुओ ने मौन रखकर गंगा में पुण्य की डुबकी लगाकर दान पुण्य किया। ग्रामीण अंचल से महिलाएं बच्चे वृद्ध सिर पर गठरी लादे पूरे दिन गंगा स्नान और दान पुण्य दर्शन के लिए आते-जाते रहे। श्रद्धा और भक्ति का नीर-क्षीर गंगा घाट से लेकर मंदिरों सडक़ो पर छलकता रहा। इस दौरान गंगा घाटों की ओर जाने वाले मार्ग पर यातायात प्रतिबंधित किया गया है।
गंगा स्नान करने पहुंचे श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ सहित अन्य देवालयों में भी मत्था टेकते रहे। स्नान-ध्यान और अर्घ्य चढ़ाने के पश्चात महिला-पुरुष श्रद्धालुओं ने गरीबों में तिल, गुड़, चावल, कम्बल आदि दान किया और काशी विश्वनाथ माँ अन्नपूर्णा सहित विभिन्न देवालयों व शिवालयों में शीश नवाया। विदेशी पर्यटक कुहासे भरी सुबह, ऐसे विकट मौसम में भी आस्था और भक्ति भाव से नहाते नर नारियों, बच्चों को विस्मय से देख रहे थे और उनकी तस्वीरें ले रहे थे। स्नान के बाद ठिठुरते श्रद्धालुओं ने गंगा तट पर जमकर दान पुण्य किया।
इस दौरान घाटों पर भिखारियो का रेला भी उमड़ पड़ा था। गंगा के दशाश्वमेध, डा. राजेन्द्र प्रसाद, सिंधिया घाट, मुंशी घाट, दरभंगा घाट, शिवाला, पंचगंगा, केदारघाट, मानसरोवर, अस्सी सहित आदि प्रमुख घाटों पर काफी भीड़ रही। कोहरा और ठंड में गंगा स्नान करने घाट किनारे पहुंचे श्रद्धालुओं की सेवा पुलिस और एनडीआरएफ मुस्तैद रही। ठंड के बाद भी मौनी अमावस्या पर आस्था की डुबकी लगाने वालों की भीड़ घाटों पर सोमवार की शाम से ही जुट गयी थी। पुलिस प्रशासन ने श्रद्धालुओ के सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए घाटों पर जाने वाले रास्तों पर पुलिस ने डायवर्जन लागू कर दिया था।
ये है पौराणिक महत्व
शास्त्रों के अनुसार यह अमावस्या मोक्ष प्राप्ति, पितृ शांति, काल सर्प योग शांति, अचल लक्ष्मी प्राप्ति और चन्द्रमा के विकार दूर करने हेतू उत्तम दिन है। धर्म ग्रंथों में पूर्णिमा और अमावस्या का अत्यधिक महत्व बताया गया है।अमावस्या के दिन भगवान भास्कर को अर्घ्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होती है। अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी परिक्रमा करेंने से सभी कष्टो से मुक्ति मिलती है । मंत्र जाप, सिद्धि साधना एवं दान कर मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति और भगवान का आशीर्वाद मिलता है।पद्मपुराण में कहा गया है कि अन्य मास में जप, तप और दान से भगवान विष्णु उतने प्रसन्न नहीं होते जितने कि वे माघ मास में स्नान करने से होते हैं। महाभारत के एक दृष्टांत में भी इस बात का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि माघ मास के दिनों में अनेक तीर्थों का समागम होता है।