शहीद का शव पहुंचते ही गांव में छाया सियापा, घोघरी गांव में शोक की लहर...
विजय शंकर सिंह पटेल (53) का शव पहुंचते ही पूरे गांव में सन्नाटा फैल गया. शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचते ही परिवार के साथ पूरा गांव रो पड़ा.
वाराणसी, भदैनी मिरर। पिंडरा ब्लाक के घोघरी गांव में बृहस्पतिवार की शाम विजय शंकर सिंह पटेल (53) का शव पहुंचते ही पूरे गांव में सन्नाटा फैल गया. शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचते ही परिवार के साथ पूरा गांव रो पड़ा. जो भी सुना सभी विजय के दरवाजे पर पहुंच गए. नम आंखों से श्रद्धांजलि देते हुए "भारत माता की जय", "वंदे मातरम", "विजय शंकर अमर रहे", "जब तक सूरज चांद रहेगा, विजय तेरा नाम रहेगा" जैसे नारों से पूरा गांव गूंज उठा.
श्री लाल प्रसाद सिंह के बड़े बेटे विजय शंकर सिंह पटेल पश्चिम बंगाल के हासीमारा में एयरफोर्स में तैनात थे. उनकी अचानक तबीयत खराब हो गई. तबीयत खराब होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया. इलाज के दौरान विजय की मौत हो गई. बृहस्पतिवार को विजय का शव तिरंगे में लिपटा हुआ घोघरी गांव पहुंचा. शव पहुंचते ही परिवार के लोगों का रो-रोकर हाल-बेहाल हो गया.
39 जीटीसी गोरखा रेजीमेंट ने गार्ड ऑफ ऑनर की सलामी दी. हर कोई विजय के बहादुरी को सलाम कर रहा था. पत्नी मंजू देवी, पुत्र शैलेश कुमार सिंह, पुत्री नीलम, माता चंद्रकली देवी सहित परिवार के लोगों पर जैसे गम का पहाड़ टूट पड़ा हो. सभी लोग परिवारजनों का ढांढस बंधाते रहे.
दूसरी नौकरी थी विजय शंकर की
विजय का इरादा मजबूत और कौशल से भरा हुआ था. पहले फौज की नौकरी की. रिटायरमेंट होने के बाद एयर फोर्स की परीक्षा पास करके पुनः नौकरी करने लगे. पूरा परिवार हंसता खेलता हुआ व्यतीत हो रहा था. विजय के पिता श्री लाल बताते हैं कि मैं बार-बार मना किया कि एक नौकरी से रिटायर हो गए हो तो दूसरी करने की क्या जरूरत है. लेकिन विजय नहीं माना उसे देश सेवा करने का जुनून सवार था.