तुलसीघाट पर शुरु हुआ 49वां ध्रुपद मेला, राजा बनारस बोले- अनुभव लिखें कलाकार...

सात वार और नौ त्योहारों वाली काशी में होने वाली सांगीतिक और धार्मिक परम्पराओं में एक चार दिवसीय ध्रुपद मेले का बुधवार को तुलसी घाट पर मेले का आगाज हुआ।

तुलसीघाट पर शुरु हुआ 49वां ध्रुपद मेला, राजा बनारस बोले- अनुभव लिखें कलाकार...

वाराणसी/भदैनी मिरर। सात वार और नौ त्योहारों वाली काशी में होने वाली सांगीतिक और धार्मिक परम्पराओं में एक चार दिवसीय ध्रुपद मेले का बुधवार को तुलसी घाट पर मेले का आगाज हुआ। गंगा किनारे सुर सरिता के प्रवाह में कलाकारों ने पारम्परिक अंदाज में डुबकी लगाई। सुर सरिता की धाराओं की शीतलता की अनुभूति मध्यरात्रि के बाद तक की गई। 


तुलसी घाट आयोजित पर 49वें ध्रुपद मेले की प्रथम निशा में देशी श्रोताओं के साथ विदेशी श्रोताओं ने भी संगीत का आनंद लिया। प्रथम निशा में 8 कलाकार मंचासीन हुए। इस निशा की प्रथम प्रस्तुति पं. देवव्रत मिश्र का सुरबहार वादन रही। आलापचारी से सुरबहार वादन का आरंभ करने के उपरांत उन्होंने राग यमन में चौताल में निबद्ध ध्रुपद रचना का प्रभावी वादन किया। उनके साथ पखावज पर अंकित पारिख  ने संगत की। इसके बाद वरिष्ठ कलाकार पं. ऋत्विक सान्याल का गायन हुआ। डॉ ऋत्विक सान्याल ने राग वर्धिनी में आलाप के साथ चौताल में निबद्ध ध्रुपद रचना सुनाई।  इसके बाद पं राज खुशीराम ने पखवाज पर संगीत की प्रस्तुति की। इसके बाद पं उमाकांत और अनंत रमाकान्त ने गायन की प्रस्तुति की। इसके साथ ही अन्य कलाकारों ने अपनी सुरों की सरिता बहाई। 

इस आवासर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राजा बनारस अनंत नारायण सिंह ने कहा कि पिछले 49 साल की संस्मारिका जिन भी कलाकरों ने लगातार मंच पर अपनी प्रस्तुति दी है, वह अपने अनुभव को लिखे उसे स्मारिका के रूप में हम प्रकाशित करवाएंगे। इसमें हमारा पूरा सहयोग होगा। किसी प्रकार की कोई कमी नही होगी।

मेले के वर्तमान संयोजक प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने कहा कि 1974 में इस शैली को पुनर्जीवित रखने का बीणा उठाया गया और भाव प्रभा पद्म संस्था के तत्वावधान में अखिल भारतीय ध्रुपद समिति का गठन किया गया। उन्होंने कहा कि काशी परंपराओं का शहर है। यहाँ लोग रहे न रहे परम्पराएँ जीवित रहती हैं और चलती रहती हैं। इसलिए हम केवल 49वां ही नही 50वां ही नही बल्कि इसकी शताब्दी भी मनाएंगे। ध्रुपद शैली को लोग भूल रहे थे अब उसे नई पीढ़ी अपना रही है यह एक सुखद अहसास है नाद ब्रह्म या फिर संगीत के लिए यह एक अच्छा अवसर है। इस अवसर पर पद्मश्री पं शिवनाथ मिश्र एवं संस्थापक सदस्य गायक वादक कलाकार पद्मश्री डॉ राजेश्वर आचार्य समेत अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।