काशी का पौराणक कुआं, जिसका रास्ता जाता है नागलोक, दर्शन से मिलती है कालसर्प दोष से मुक्ति

आज हम आपको महादेव के नगरी काशी में स्थित एक ऐसे रहस्यमयी कुएं के बारे में बताएंगे, जिसका रास्ता सीधा नागलोक को जाता है.काशी पर आधरित पुस्तक काशी खंडोक्त के अलावा तमाम शास्त्रों में भी इसका जिक्र है.

काशी का पौराणक कुआं, जिसका रास्ता जाता है नागलोक, दर्शन से मिलती है कालसर्प दोष से मुक्ति

Nag Panchami 2024: आज नागपंचमी का पर्व मनाया जा रहा है, जो समस्त सर्पों को समर्पित होता है. सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर पड़ने वाले इस त्योहार पर नाग देवता के दर्शन को मंदिरों में भीड़ उमड़ती है, लेकिन आज हम आपको महादेव के नगरी काशी में स्थित एक ऐसे रहस्यमयी कुएं के बारे में बताएंगे, जिसका रास्ता सीधा नागलोक को जाता है.काशी पर आधरित पुस्तक काशी खंडोक्त के अलावा तमाम शास्त्रों में भी इसका जिक्र है.

काशी में कहां स्थित है ये कुआं

हम जिस कुएं की बात कर रहे है वह वाराणसी के जैतपुरा इलाके में स्थित नागकूंप है. मान्यता है कि इस कुएं के दर्शन मात्र से नाग दंश के भय से न सिर्फ मुक्ति मिलती है बल्कि कुंडली का कालसर्प दोष भी दूर होता है. 3 हजार साल पुराने इस कूप में आज भी नागों का वास है. 

80 फिट नीचे है नागेश्वर महादेव का शिवलिंग

इस नागकूप में 80 फिट नीचे नागेश्वर महादेव का शिवलिंग है जिसकी स्थापना अपने तेज से महर्षि पतंजलि ने की थी. इसका वर्णन स्कन्द पुराण में है. महर्षि पतंजलि ने यहीं तप कर व्याकरणाचार्य पाणिनि के भाष्य की रचना भी की थी. कहा जाता है इस कूप के भीतर 7 कुएं है, जिससे सीधे पाताल लोक यानि नाग लोक तक जाया जा सकता है. 

इस कुंड का जल छिड़कने से मिलती है कालसर्प दोष से मुक्ति 

मंदिर के महंत बताते हैं कि नाग दंश और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए पूरे विश्व में सिर्फ 3 ही स्थान है जिसमें ये कूप प्रधान है. जिस किसी भी व्यक्ति को स्वप्न में बार-बार सर्प या नाग देवता के दर्शन होते हैं, इस कुंड का जल घर में छिड़काव करने से इन दोषों से मुक्ति मिल जाती है.

पौराणिक कथा

'राजा परीक्षित को नाग ने डस लिया था. इस पर क्रोधित उनके बेटे जन्मेजय ने एक बड़ा हवन कर सभी सर्पों को खत्म करने की प्रतिज्ञा ली. वो हवन में जिस सर्प का नाम लेकर स्वाहा कहते वह स्वयं आकर हवन कुंड में जल जाता. यह देख रहे नागराज कार्कोटक इंद्र भगवान के पास पहुंचे और कहा कि मेरा नाम बुलाने पर मैं भी इस हवन कुंड में स्वाहा हो जाऊंगा.

इस पर भगवान इंद्र ने उनसे शिव की तपस्या करने को कहा जिस पर उन्होंने कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपने अंदर समाहित कर लिया। कहा जाता है कि इसके बाद कार्कोटक इसी कुंड के रास्ते पाताल लोक चले गए. 

नागपंचमी पर उमड़ती हैं भक्तों की भीड़

यहां देशभर से दर्शन को श्रद्धालु आते हैं और कूप के दर्शन के बाद यहां स्थित नागेश्वर महादेव के दर्शन करते हैं. नाग पंचमी के दिन यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है. श्रद्धालु यहां आकर नागेश्वर महादेव को दूध, लावा अर्पण करते हैं.