यादव बंधुओं ने बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक कर निभाई परंपरा, जाने कब और क्यों शुरू हुई यह प्रथा...
श्रावण मास के पहले सोमवार को चंद्रवंशी गोप सेवा समिति के तत्वावधान में यादव बंधुओं ने परम्परानुसार श्री काशी विश्वनाथ का जलाभिषेक किया।
वाराणसी,भदैनी मिरर । श्रावण मास के पहले सोमवार को चंद्रवंशी गोप सेवा समिति के तत्वावधान में यादव बंधुओं ने परम्परानुसार श्री काशी विश्वनाथ का जलाभिषेक किया। इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष लालजी यादव के नेतृत्व में यादव बंधुओं ने श्री गौरी केदारेश्वर से हजारों की संख्या में अपना कलश भर यात्रा प्रारम्भ किया। अपने परंपरागत मार्गो से होते हुए बाबा तिलभाण्डेश्वर, शीतला माता, आल्हादेश्वर महादेव के बाद ढूंढीराज गणेश होते हुए बाबा श्री काशी विश्वनाथ धाम पहुंचे और जलाभिषेक किया। उसके बाद बाबा मृत्युंजय महादेव, त्रिलोचन महादेव, ओम कालेश्वर महादेव, लाटभैरव पर जलाभिषेक किया। इस दौरान यादव बंधु हर-हर महादेव का उद्घोष करते हुए विभिन्न वेशभूषा धारण कर चांदी व पीतल के कलश कंधे पर लेकर चल रहे थे। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि स्वयं महादेव धरती पर सावन में अवतरित हुए हैं। यादव बंधुओं के विशेष परिधान भी आकर्षण का केंद्र बने हुए थे। वहीं झंडे को कंधे पर लिए दुर्गा प्रसाद एवं डमरू का संचालन विष्णु यादव कर रहे थे। जगह-जगह पर यादव बंधुओं ने प्रसाद व फलाहार का वितरण किया। यादव बंधुओं के साथ केन्द्रीय मंत्री हंसराज अहीर ने बाबा का जलाभिषेक किया।
इस दौरान समिति अध्यक्ष लालजी यादव ने कहा कि कुछ लोग जलाभिषेक के नाम पर राजनीति करने का कार्य कर रहे हैं, हम इसे कत्तई स्वीकार नहीं करते हैं व अपने निजी स्वार्थ के लिये समाज का नाम बेचने का कार्य कर रहे हैं। हम सब इस कुरीतियों को समाज से दूर करेंगे। जलाभिषेक यात्रा में प्रमुख रूप से आयुष्मान यादव चंद्रवंशी, विनय यादव, अभिषेक यादव, मनोज यादव, शरद यादव, राजेश यादव, सोनू यादव, विजेंद्र यादव, दुर्गा यादव, गोपालजी यादव, चुलबुल सरदार, गणेश यादव, भईयालाल पहलवान, रवि यादव 'कल्लू', रोहित यादव, पप्पू सरदार, बाले सरदार, सदन सरदार, राहुल, सूरज यादव, चांद यादव, गौतम यादव, शालनी यादव, अशोक यादव एवं काफी संख्या में पदाधिकारीगण उपस्थित रहे।
आकाल से शुरु हुई थी यादव बंधुओं के जलाभिषेक की परंपरा
देव नगरी काशी में सावन के प्रथम सोमवार को यादव बंधुओं द्वारा बाबा विश्वनाथ के जलाभिषेक की परम्परा निभाई गई. मान्यता है की यादव बंधुओं के जलाभिषेक करने से बाबा तर होते हैं और फिर वर्षा होती है. सन 1932 में शुरू परम्परा का निर्वहन अब तक हो रहा है. इस वर्ष 89 वर्ष पूर्ण होंगे. चंद्रवंशी गोप सेवा समिति के प्रदेश अध्यक्ष लालजी यादव ने बताया की इसकी शुरुआत पांच यदुवंशियों ने की थी. काशी में शीतला गली निवासी भोला सरदार, कृष्णा सरदार, बच्चा सरदार तथा ब्रह्मनाल निवासी चुन्नी सरदार और रामजी सरदार घनिष्ठ मित्र थे. इन यदुवंशियों ने अकाल से रक्षा के लिए बाबा का जलाभिषेक सावन में किया था. काशीवासियों को अकाल से जूझते देख इन सभी ने संकल्प लिया कि यदि उनके जलाभिषेक के बाद वर्षा हो गई तो अगले वर्ष से संपूर्ण यदुवंशी समाज के साथ मिलकर हमेशा बाबा का अभिषेक करेंगे. इन पांचों ने समाज की पंचायत में अपनी मंशा व्यक्त की. समाज में तय हुआ कि यदि बारिश होगी तो अगले वर्ष से यदुवंशी परिवार का बच्चा-बच्चा अभिषेक करने जाएगा. उस समय के विख्यात कर्मकांडी पं. शिवशरण शास्त्री की सलाह पर अन्य प्रमुख शिवालयों में भी अभिषेक का निर्णय हुआ. उन पांच मित्रों ने गौरीकेदारेश्वर से लाट भैरव मंदिर के बीच विश्वनाथ मंदिर सहित कुल सात शिवालयों, एक भैरव मंदिर और एक शक्ति पीठ में जलाभिषेक किया. इन सभी के परिजन अब भी जलाभिषेक यात्रा से जुड़े हुए हैं.