भक्तिमय वातावरण में मना निर्वाण-अभिषेक एवं स्थापना दिवस, भक्तों का लगा तांता...

भक्तिमय वातावरण में मना निर्वाण-अभिषेक एवं स्थापना दिवस, भक्तों का लगा तांता...

वाराणसी, भदैनी मिरर। यूँ तो अघोर परंपरा में तिथि के हिसाब से कई पर्व मनाए जाते हैं, लेकिन उनमें से कुछ बेहद ख़ास होते हैं. 10 फ़रवरी की तारीख़ इस परंपरा की अहम तारीख़ों में से एक है. वाराणसी स्थित अघोर परंपरा के तीर्थ स्थान, 'बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड' पर हर साल 10 फ़रवरी को इस पीठ के 10वें पीठाधीश्वर, बाबा राजेश्वर राम जी का 'निर्वाण दिवस' तथा इसी दिन वर्तमान (11वें) पीठाधीश्वर अघोराचार्य बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी का 'अभिषेक दिवस' और यहाँ से संबद्ध समाजिक संस्था, 'अघोराचार्य बाबा कीनाराम अघोर शोध एवं सेवा संस्थान', का 'स्थापना दिवस' एक साथ मनाया जाता है.

इन कार्यक्रमों के मद्देनज़र इस स्थान पर 2 दिन पहले से ही, दुनिया भर के, अघोर श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरु हो गया था. 10 फ़रवरी को सुबह से ही साफ़-सफ़ाई, पूजा-पाठ, आरती पूजन का दौर शुरु हो गया, इसके बाद भक्तों की बहुत लंबी कतार लग गई, जो आश्रम गेट के बाहर दूर तक दिख रही थी. हाथों में फूल माला और घोर आस्था से सराबोर अघोर भक्तों की इतनी लंबी लाइन का कारण था अपने आराध्य, ईष्ट, बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी का दर्शन और ब्रह्मलीन बाबा राजेश्वर राम जी को श्रद्धांजलि अर्पित करना और इसके बाद तो जैसे ही अघोराचार्य बाबा गौतम राम जी अपने कक्ष से बाहर निकले, पूरा आश्रम परिसर 'हर-हर महादेव' के गगनभेदी नारों से गूँजने लगा. अघोराचार्य बाबा ने सर्वप्रथम सभी समाधियों का दर्शन-पूजन किया तथा बाद में अपने दादा गुरु बाबा राजेश्वर राम जी की समाधि पर पुष्पांजलि और शीश नवाकर श्रद्धासुमन अर्पित किया.

इसके बाद अघोराचार्य बाबा ने अपने गुरु अवधूत भगवान राम जी (अघोरेश्वर महाप्रभु) की आरती की और तत्पश्चात अपने विश्वविख्यात औघड़ तख़्त पर आसीन हुए. औघड़ तख़्त पर अघोराचार्य बाबा का बैठना ही था कि अपने ईष्ट की इस दुर्लभ झलक पाने के लिए लोग टूट पड़े. वर्तमान पीठाधीश्वर का दर्शन और ब्रह्मलीन पीठाधीश्वर जी को श्रद्धांजलि का ये दौर दोपहर बाद देर तक चलता रहा. इसके बाद प्रसाद वितरण के तहत भंडारा शुरु हुआ, जिसे लाखों लोगों ने ग्रहण किया. इसके बाद वैचारिक गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें देश-विदेश के नामचीन लोगों ने अपने विचार के तहत अध्यात्म की सर्वोत्तम अवस्था, अघोर, के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला और इसे समाज के लिए कल्याणकारी बताया. इसके बाद कवि सम्मलेन का भी आयोजन किया गया था, जिसमें कवियों ने राष्ट्र-समाज की भावना से ओत-प्रो

त विचारों का आगाज़ कर लोगों में उत्साह भर दिया. उधर इस अवसर पर लाखों की भीड़ के मद्देनज़र स्थानीय प्रशासन ने भी क़मर कस रखा था. वरिष्ठ अधिकारी लगातार स्थिति पर नज़र बनाए हुए थे.