यज्ञ को विघ्न से दूर रखने को की गई माँ चण्डी के गणों की पूजा, स्वामी प्रखर जी महाराज ने बताया पौराणिक महत्त्व...
Worship of the Ganas of Maa Chandi was done to keep the Yagya away from obstacles Swami Prakhar Ji Maharaj told the mythological importanceयज्ञ को विघ्न से दूर रखने को की गई माँ चण्डी के गणों की पूजा, स्वामी प्रखर जी महाराज ने बताया पौराणिक महत्त्व...
वाराणसी,भदैनी मिरर। पौराणिक काल से ही यज्ञ पूजन में अक्सर ही विध्न के लिए असुर तैयार रहते थे। जिसके रक्षा की जिम्मेदारी माँ चंडी के गण योगिनी, क्षेत्रपाल और भैरवद्वार की होती है। इसलिए शंकुलधारा पोखरे पर आयोजित 51 दिवसीय आयोजित लक्षचण्डी यज्ञ में असुर विध्न न डालें इसलिए दूसरे दिन मंडप स्थल पर योगिनी, क्षेत्रपाल और भैरव की स्थापना कर उनका विधिवत पूजन अर्चन किया गया। उक्त बातें महायज्ञ के आयोजक महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी श्री प्रखर जी महाराज ने बताई।
लक्षचण्डी महायज्ञ के आयोजनों की श्रृंखला के दूसरे दिन 19 जनवरी को गणपति पूजन किया गया। इसके बाद लक्षचण्डी संख्या के लिए 500 ब्राह्मणों द्वारा दुर्गा सप्तशती पाठ प्रारम्भ हुआ। सभी यजमानों ने मंडप में स्थापित देवताओं का पूजन अर्चन किया। विराट श्री लक्षचण्डी महायज्ञ के मुख्य यज्ञाचार्य पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित की देखरेख में 21 ब्राह्मणों ने मंडप पूजन, पताका पूजन और शिखर पूजन विधिवत सम्पन्न किया गया।
धर्म के साथ स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी : पूर्णानन्दपुरी
स्वामी पूर्णानन्दपुरी ने यज्ञशाला में आने वाले सभी भक्तों से अपील करते हुए कहा कि धर्म के साथ अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना हम सब का कर्तव्य है। वैश्विक महामारी कोरोना से जुड़े सभी प्रकार के शासन-प्रशासन द्वारा दिए गए आदेशों का पालन करना अति आवश्यक है। मां गंगा की महाआरती का आयोजन कर कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुए यज्ञशाला की परिक्रमा की गई जिसमें आचार्य गौरव शास्त्री, आत्म बोध प्रकाश, मां चिदानंदमयी, रवि द्विवेदी सहित दर्जनों लोग उपस्थित रहे।