विपक्ष ने किया गुमराह, सरकार या हमने कभी नहीं कहा रजिस्ट्री कार्यालय में वकीलों का प्रैक्टिस बन्द होगा- मंत्री रविन्द्र जायसवाल
वाराणसी, भदैनी मिरर। सूबे के स्टाम्प एवं निबंधन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार रवींद्र जायसवाल और अधिवक्ताओं के बीच चल रहे विवाद को लेकर बुधवार को मंत्री ने गुलाबबाग स्थित अपने कार्यालय में सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि आंदोलनरत अधिवक्ताओं ने विपक्ष के बहकावें में आकर बात को बढ़ा दिया है,जबकि साफ है कि रजिस्ट्री एवं स्टाम्प एक्ट भारत सरकार के अधीन है और उसमे परिवर्तन भी केंद्र सरकार ही कर सकती है। राज्य सरकार इसमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं कर सकती।
मंत्री रविन्द्र जायसवाल ने कहा कि निबंधन के लिए दोनों पक्ष बिना किसी वकील के अकेले जाकर भी अपना निबंधन और रजिस्ट्री करा सकते है। साथ ही अधिवक्ता को साथ ले जाकर भी रजिस्ट्री करायी जा सकती है, ये सभी बातें किताबों में भी लिखी हैं।राज्य सरकार इसमें केवल परिनियमावली बना सकती है और इसके क्रम में ही निबंधन की प्रक्रिया में अधिवक्ताओं की उपस्थिति अनिवार्य नहीं है, ये नियम पहले से ही है। मैंने या सरकार ने यह कभी नहीं कहा कि वहां वकीलों का प्रैक्टिस बन्द होगा, हमने केवल किताबों में लिखी हुई बातों को बताया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्री ने आरोप लगाया कि कुछ नादान वकीलों ने विपक्ष के गुमराह करने के बाद यह प्रदर्शन किया है। मै स्पष्ट करता हूँ कि ऐसा कोई आदेश मेरी तरफ से नहीं दिया गया है। वहीं राज्य मंत्री की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि-
कुछ दिनों से रजिस्ट्री प्रक्रिया के संदर्भ मे अधिवक्ताओं में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। इस संदर्भ मे विदित है कि रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के सुसंगत प्रावधानों के तहत रजिस्ट्री हेतु लेखपत्रो के प्रस्तुतिकरण की व्यवस्था है। अधिवक्ताओं को रजिस्ट्री हेतु ना मना किया गया है नहीं ऐसा कोई आदेश है, लेकिन क्रेता-विक्रेता अगर चाहे तो अपना लेखपत्र रजिस्ट्री कार्यालय में स्वयं प्रस्तुत कर लेखपत्रो की रजिस्ट्री करा सकते है।
रजिस्ट्री प्रक्रिया को पूर्ण कराने में अधिवक्ताओ का सहयोग पूर्व में भी मिलता आया है और मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आगे भी मिलता रहेगा। अधिवक्ताओं से सकारात्मक सहयोग की अपेक्षा है।
सरकार की मंशा के अनुरूप 2017 में रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को संपादित करने हेतु विभागीय वेबसाइट पर लेखपत्रो के स्वसृजित प्रणाली की व्यवस्था जनसामान्य के लिए उपलब्ध करायी गयी है, ऑनलाइन व्यवस्था के अंतर्गत पक्षकार सर्किल रेट का पता लगा सकते है एवं स्टाम्प एवं निबंधन शुल्क का ऑनलाइन भुगतान विभिन्न माध्यमों से भी कर सकते है। जनसामान्य में प्रचार प्रसार हेतु 2018 में भी विभाग द्वारा पत्र जारी किया गया था। इस सम्बन्ध में अभी कोई नया शासनादेश जारी नही किया गया।
मैंने और न सरकार ने ही ऐसा कोई आदेश दिया है कि रजिस्ट्री कार्यालय में कोई अधिवक्ता अब प्रैक्टिस नहीं कर सकता। मैंने बस इतना ही कहा था कि कोई भी व्यक्ति बिना अधिवक्ता के भी रजिस्ट्री कार्यालय जाकर अपनी रजिस्ट्री करवा सकता है और ये पहले से नियम है और इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।
विदित हो कि, पिछले दिनों प्रदेश के स्टाम्प एवं निबंधन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार रवींद्र जायसवाल के मीडिया में आए एक बयान के बाद वाराणसी में वकीलों ने जबरदस्त विरोध जताते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिया था। वाराणसी कचहरी परिसर स्थित स्टाम्प कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करते हुए नाराज अधिवक्ताओं ने राज्य मंत्री के तस्वीर पर कालिख भी पोती थी, जिसमें मंगलवार को कैंट थाने में कुछ वकीलों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।