भागवत का अर्थ ही ज्ञान-भक्ति-वैराग्य है, बोले स्वामी प्रखर जी महाराज देवी पुराण सुनने से दूर होतीं है बाधाएं...
The meaning of Bhagwat is knowledge devotion dispassion said Swami Prakhar Ji Maharaj Devi Puranas remove obstacles by listeningभागवत का अर्थ ही ज्ञान-भक्ति-वैराग्य है, बोले स्वामी प्रखर जी महाराज देवी पुराण सुनने से दूर होतीं है बाधाएं...
वाराणसी,भदैनी मिरर। भागवत का अर्थ है भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और तपस्या। जिनमें इन चारों समाहित हो वह भागवत होता है। यह उद्गार महामंडलेश्वर स्वामी श्री प्रखर जी महाराज ने शंकुलधारा पोखरे पर चल रहे 51 दिवसीय लक्षचण्डी यज्ञ के छठें दिन कही। उन्होंने कहा कि देवी पुराण पढ़ने एवं सुनने से भयंकर रोग, अतिवृष्टि, अनावृष्टि भूत-प्रेत बाधा, कष्ट योग और दूसरे आधिभौतिक, आधिदैविक तथा आधिदैहिक कष्टों का निवारण हो जाता है। साथ ही सम्पूर्ण जीवन में सुख-शांति आती है और महामारी का नाश होता है। इसी के निमित्त कोरोना महामारी के समूल नाश के लिए आज से देवी भागवत का परायण शुरू किया गया है। उन्होंने बताया कि देवी भागवत भी 18 महापुराण के अन्तर्गत आता है और इसका 9 दिनों तक पाठ चलता है। लेकिन यह पाठ अनवरत यज्ञ समाप्ति तक चलेगा।
स्वामी प्रखर जी महाराज के शिष्य स्वामी पूर्णानंदपुरी जी ने बताया कि कोरोना महामारी और भारत को विश्वगुरु बनाने के उद्देश्य से इस महायज्ञ का आयोजन किया गया है और उसका परिणाम भी दिख रहा है। कोरोना प्रोटोकॉल में कमी आने के कारण दुर्गा सप्तशती पाठ करने वाले ब्राह्मणों में बढ़ोतरी हुई है। अबतक 250 ब्राह्मण इसका पाठ करते थे। लेकिन आज से 300 ब्राह्मण इसमें सम्मिलित हुए हैं। वही यज्ञशाला प्रांगण में बारिश के कारण काफी कीचड़ हो जाने से प्रांगण में बालू बिछाने कार्य चल रहा है जिसमें विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने पहुंचकर अपनी सेवा दी। साथ ही देवी भगवती और स्वामी जी का आशीर्वाद लेकर यज्ञशाला की परिक्रमा की। महायज्ञ के उपरांत नित्यप्रतिदिन मां गंगा आरती पर आधारित यज्ञ परिसर में विराजमान मां भगवती दुर्गा की महाआरती हुई। इस अवसर पर आचार्य गौरव शास्त्री,आत्मबोधप्रकाश ब्रह्मचारी,चंदन सिंह,गोलू सिंह,अमित पसारी ,दिशा पसारी ,तनीषा अरोड़ा ,गौरव तिवारी, अंकित अग्निहोत्री, कुलदीप तिवारी सहित दर्जनों भक्त उपस्थित रहे।