दीवाली की रात क्यों बनाते है सूरन की सब्जी, जानिए इसके पीछे की दिलचस्प कहानी
दीवाली के मौके पर सूरन खाने को शुभ माना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दीवाली पर सूरन की सब्जी बनाने का रिवाज क्यों है? आइए, आज इसके पीछे की दिलचस्प कहानी जानते हैं।
देशभर में दीवाली का त्योहार बड़े उत्साह से मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म के इस प्रमुख त्योहार पर लोग भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं और एक-दूसरे को मिठाई बांटने की परंपरा निभाते हैं। इसी दिन कई घरों में सूरन या जिमीकंद की सब्जी बनाने का रिवाज भी है, खासकर उत्तर प्रदेश में। दीवाली के इस मौके पर सूरन खाने को शुभ माना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दीवाली पर सूरन की सब्जी बनाने का रिवाज क्यों है? आइए, आज इसके पीछे की दिलचस्प कहानी जानते हैं।
सदियों पुरानी है दीवाली पर सूरन बनाने की प्रथा
सूरन की सब्जी आम दिनों में कम ही बनती है, पर दीवाली पर इसे हर घर में जरूर पकाया जाता है। यह परंपरा सदियों पुरानी है और इसके पीछे छिपे कारणों को जानना बेहद जरूरी है। पहले जानते हैं कि इस प्रथा की शुरुआत आखिर कहां से हुई।
बनारस से शुरू हुई परंपरा
मान्यता है कि सूरन की सब्जी बनाने की परंपरा बनारस (काशी) से शुरू हुई थी। बनारस के घरों में दीवाली पर सूरन की सब्जी बनाना शुभ माना जाता है। यह सब्जी आलू की तरह जमीन के नीचे उगती है और इसकी फसल दीवाली के आसपास ही तैयार होती है। इसे घर की समृद्धि और प्रगति का प्रतीक भी माना जाता है।
सेहत के लिए सूरन के फायदे
सूरन सेहत के लिए भी बेहद लाभकारी है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और बीटा कैरोटीन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। साथ ही, इसमें विटामिन, कैलोरी, फैट, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, पोटैशियम और घुलनशील फाइबर भी भरपूर मात्रा में होते हैं, जो शरीर के लिए अत्यंत फायदेमंद हैं।
कैंसर के जोखिम को कम करने में सहायक
सूरन का सेवन कैंसर जैसी घातक बीमारियों के खतरे को भी कम करता है। इसमें ग्लूकोज की मात्रा कम होने के कारण यह डायबिटीज के मरीजों के लिए भी लाभकारी है।