लोलार्क छठ पर बाबा कीनाराम स्थल पर उमड़ा आस्था का रेला, बोले बाबा सिद्धार्थ गौतम राम भाईचारे के लिए प्रेम की जरूरत...

लोलार्क-षष्ठी पर्व के अवसर पर  विश्व-विख्यात अघोरपीठ "बाबा कीनाराम स्थल स्थित क्रीं-कुण्ड" में महिलाओं ने  संतान प्राप्ति व रोगमुक्त होने के लिए स्नान किया। इसके बार पुज्य पीठाधीश्वर बाबा सिद्धार्थ गौतम राम का दर्शन पूजन किया।  

लोलार्क छठ पर बाबा कीनाराम स्थल पर उमड़ा आस्था का रेला, बोले बाबा सिद्धार्थ गौतम राम भाईचारे के लिए प्रेम की जरूरत...

वाराणसी,भदैनी मिरर। लोलार्क-षष्ठी पर्व के अवसर पर  विश्व-विख्यात अघोरपीठ "बाबा कीनाराम स्थल स्थित क्रीं-कुण्ड" में महिलाओं ने  संतान प्राप्ति व रोगमुक्त होने के लिए स्नान किया। इसके बार पुज्य पीठाधीश्वर बाबा सिद्धार्थ गौतम राम का दर्शन पूजन किया।  

बता दें की लगातार दो वर्षों से कोरोनाकाल के चलते इस पर्व पर स्नान पर प्रतिबंध लगा हुआ था। इस वर्ष सब कुछ सामान्य होने पर 2 दिन पहले से ही क्रीं-कुण्ड मंदिर परिसर के आस-पास श्रद्धालुओं की भीड़ से मेले जैसा माहौल रहा।  कई किलोमीटर तक, फल-फूलमाला, झूला, खिलौने, चाट-गोलगप्पे, मिठाई, चाय-कॉफी इत्यादि की दुकानें सज गई थीं। 

गौरतलब है कि अघोर परम्परा के आधुनिक स्वरुप के जनक- अधिष्ठाता कहे जाने वाले महान संत अघोराचार्य महाराज बाबा कीनाराम के जन्म के छठे दिन (छठी) के उपलक्ष्य में, अघोरपीठ पर मनाया जाने वाला ये पर्व हर साल भादो महीने की षष्ठी के दिन मनाया जाता है।क्रीं-कुण्ड (तालाब) है जहां विशेष तौर पर इस दिन महिलाएं स्नान करती हैं। संतान प्राप्ति के लिए, महिलाएं पहले अस्सी स्थित लोलार्क कुण्ड पर स्नान करती हैं और फिर तुरंत क्रीं-कुण्ड आकर स्नान करती हैं। कहा जाता कि बाबा कीनाराम ने अपने आध्यात्मिक तपोबल से इन दोनों कुण्डों को जागृत किया था। क्रीकुण्ड में संतान प्राप्ति व रोग द्वेष कलेश से मुक्ति पाने के लिए सप्ताह में 2 बार रविवार व मंगलवार कुल मिलाकर 5 बार लगातार स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, तथा लोलार्क कुण्ड में खष्टि के दिन प्रतिवर्ष 1 बार स्नान करने से सभी दुखों का निवारण होता हैं।

इस अवसर पर भक्तों के नाम अपने संदेश में बाबा सिद्धार्थ गौतम राम ने कहा कि सर्वत्र विश्व बंधुत्व की भावना की जरूरत है, आपसी भाईचारे को बरकरार रखने के लिये हमें आपस मे प्रेम की भावना विकसित करनी होगी। बशुधैव कुटुम्बकम की भावना से ही संसार में शांति का वातावरण पैदा होगा, और जन समुदाय सुख शान्ति की कामना करने में संक्षम होगा। इस  पर्व पर अनुमानित भारी भीड़ के चलते प्रशासन ने पहले से ही चाक-चौबंद व्यवस्था कर रखा था । स्वयं सेवकों और प्रशासन के तालमेल से पूरा कार्यक्रम व्यवस्थित व शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ।