नेताजी की 124वीं जयन्ती पर सुभाष मंदिर की हुई स्थापना, इंद्रेश कुमार और महंत बालक दास ने मंदिर को घोषित किया तीर्थ
मुख्य अतिथि इन्द्रेश कुमार एवं उद्योग उपायुक्त वीरेन्द्र कुमार ने संयुक्त रूप से 25 प्रशिक्षणार्थी महिलाओं को सिलाई मशीन एवं प्रमाण पत्र उद्योग विभाग, उ0प्र0 सरकार की ओर से दिया ताकि महिलायें आत्मनिर्भर बनकर समाज में अपनी भूमिका निभा सकें। इसके साथ ही संस्थान के बच्चों ने दक्षिता भारतवंशी के नेतृत्व में सुभाष कथा, मार्च गीत का प्रस्तुतिकरण किया। आजाद हिन्द बटालियन ने परम पावन राष्ट्रदेवता नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को सलामी दी।
वाराणसी/भदैनी मिरर। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 124वीं जयंती के अवसर पर विशाल भारत संस्थान द्वारा लमही के इन्द्रेश नगर के आजाद हिन्द मार्ग पर सुभाष भवन और सुभाष मंदिर की स्थापना की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार, पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास एवं आध्यात्मिक गुरू चून्नु साईं रहे। अतिथियों ने वेदपाठ एवं मंत्रोच्चारण के साथ 11 किलो की माला परम पावन राष्ट्रदेवता सुभाष को अर्पित किया। माल्यार्पण करते ही ढ़ोल नगाड़े के साथ जय हिन्द, भारत माता की जय का उद्घोष हुआ।
इसके साथ ही आजाद हिन्द बटालियन ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को सलामी दी। वेदपाठी ब्राहमणों ने वैदिक मंत्रों के साथ पुष्पवर्षा की। बता दें कि संस्थान द्वारा सुभाष चन्द्र बोस की 6 फीट की मूर्ति लगायी गयी है। इस अवसर पर खुशी रमन भारतवंशी ने सुभाष मंदिर में आरती की और सबको प्रसाद वितरित किया। संस्थान के संस्थान के सदस्यों ने बताया कि बिना जाति धर्म के भेद के कोई भी सुभाष मंदिर में आ सकता है।
मुख्य अतिथि इन्द्रेश कुमार एवं उद्योग उपायुक्त वीरेन्द्र कुमार ने संयुक्त रूप से 25 प्रशिक्षणार्थी महिलाओं को सिलाई मशीन एवं प्रमाण पत्र उद्योग विभाग, उ0प्र0 सरकार की ओर से दिया ताकि महिलायें आत्मनिर्भर बनकर समाज में अपनी भूमिका निभा सकें। इसके साथ ही संस्थान के बच्चों ने दक्षिता भारतवंशी के नेतृत्व में सुभाष कथा, मार्च गीत का प्रस्तुतिकरण किया। आजाद हिन्द बटालियन ने परम पावन राष्ट्रदेवता नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को सलामी दी।
इस दौरान मुख्य अतिथि इन्द्रेश कुमार, महंत बालक दास एवं सुभाष मंदिर के संस्थापक तथा विशाल भारत संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष डा0 राजीव श्रीवास्तव ने सुभाष भवन और सुभाष मंदिर को सुभाष तीर्थ घोषित किया। उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष 22-23 जनवरी से दुनियांभर के सुभाषवादी वाराणसी पहुचेंगे और विश्व के पहले सुभाष मंदिर में दर्शन करेंगे।
वहीं इन्द्रेश कुमार ने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के अनुयायी पूरी दुनियां में हैं। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मां भारती के साधक थे उन्होंने पवित्र भाव से अपना जीवन देश की आजादी के लिये समर्पित कर दिया। उन्होंने व्यवहारिक तरीके से जाति भेद, छूआछूत और धर्मभेद को खत्म कर दिया। विशाल भारत संस्थान द्वारा विश्व का पहला सुभाष मंदिर स्थापित कर राष्ट्रीय एकता, मानवीय संवेदना, छूआछूत खत्म करने को पूरी तरह चरितार्थ कर दिया गया। सुभाष तीर्थ के रूप में स्थापित सुभाष मंदिर सभी देशवासियों को देशभक्ति की प्रेरणा का स्त्रोत बनेगा। काशी मंदिरों का शहर है, यहां पर स्थापित सुभाष मंदिर भी पर्यटकों के लिये आकर्षण का केन्द्र होगा। सरकार को भी इस मंदिर के और सुभाष तीर्थ के विकास पर ध्यान देना चाहिये। कार्यक्रम का संचालन अर्चना भारतवंशी ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डा0 निरंजन श्रीवास्तव ने दिया।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से प्रो0 एस0पी0 सिंह, प्रो० अशोक कुमार सिंह, धर्मेन्द्र नारायण, मो0 अजहरूद्दीन, दिलीप सिंह, आत्म प्रकाश सिंह, मो0 फैज खान, नीलेश दत्त, मोईन खान, नाजनीन अंसारी, नजमा परवीन, डा0 मृदुला जायसवाल, अशोक सहगल, पूनम सिंह, इली भारतवंशी, उजाला, दक्षिता, ठाकुर राजा रईस, तुषारकांत, रोहित, दीपक, शिवम, धनंजय, आदि उपस्थित रहे।