दिवंगत कलाकार पद्मभूषण देबू दा को समर्पित रही छठी निशा, कंकना बनर्जी ने "ठुमक चलत राम चंद्र" पर झुमाया, अगले वर्ष संगीत समारोह की हुई घोषणा...

दिवंगत कलाकार पद्मभूषण देबू दा को समर्पित रही छठी निशा, कंकना बनर्जी ने "ठुमक चलत राम चंद्र" पर झुमाया, अगले वर्ष संगीत समारोह की हुई घोषणा...

वाराणसी, भदैनी मिरर। श्री संकटमोचन संगीत समारोह के 97वें संस्करण की प्रथम निशा के आरंभ होने के कुछ ही मिनटों पहले दिल्ली में अंतिम सांस लेने वाले प्रख्यात सितारवादक पद्मभूषण पं. देबू चौधरी के संगीत पुष्प का अर्पण श्री संकटमोचन महाराज के चरणों में किया गया। गुरुवार को शुभारंभ पं. देबू चौधरी द्वारा गत वर्ष दिल्ली से ऑनलाइन लगाई गई हाजिरी की वीडियो रिकार्डिंग के कुछ अंश के प्रदर्शन से हुआ।


उसके बाद अगली प्रस्तुति ओडिसी नृत्य की रही। भुवनेश्वर से कलाकार एवं गुरु पंडित रतिकांत मोहापात्रा एवं विदुषी सुजाता मोहपात्रा अपने शिष्यों के साथ नृत्य के माध्यम से हनुमत दरबार में हाज़िरी लगाने के लिए जुड़े। उन्होंने "बाली वध" पर मनमोहक प्रस्तुति दी। गायन की अगली प्रस्तुति के लिए किराना घराने के प्रतिनिधि कलाकार विजय कुमार पाटिल धारवाड़ से दरबार में जुड़ें। उन्होंने राग शंकरा में निबद्ध रचना की प्रस्तुति दी।विजय कुमार पाटिल ने अंत में विख्यात रचना "जमुना किनारे मोरा गांव" गाकर सुनाया। अगली प्रस्तुति वंशी वादन की थी। युवा वंशीवादक  एस आकाश मुंबई से हनुमत दरबार से हाज़िरी लगाने के लिए जुड़े। उन्होंने राग जोग में आलाप, जोड़, गत एवं झाला बजाकर सुनाया। अगली प्रस्तुति गायन की रही। विख्यात गायक कलाकार पंडित शौनक अभिषेकी मुंबई से जुड़े उन्होंने राग मुल्तानी के माध्यम से हनुमत दरबार में हाज़िरी लगाई।


कार्यक्रम की अगली कड़ी में बनारस घराने के मशहूर सितार वादक कलाकार पंडित नरेन्द्र मिश्र मिश्र एवं उनके पुत्र अमरेन्द्र मिश्र जुड़ें। उन्होंने राग कलावती में आलाप, जोड़ एवं झाला की प्रस्तुति दी। तत्पश्चात् विख्यात कलाकार पंडित रत्तन मोहन शर्मा गायन की प्रस्तुति हेतु मुंबई से जुड़े। उन्होंने राग जोग में विलंबित एकताल की बंदिश और द्रुत लय तीनताल में बंदिश गाकर हनुमान जी को रिझाया। तत्पश्चात् उन्होंने "हनुमान लला मेरे प्यारे लला" गाकर सुनाया। अंत में उन्होंने "बन चले राम रघुराई" गाकर अपनी प्रस्तुति को विराम दिया।अगली प्रस्तुति सेनिया मैहर घराने के युवा प्रतिनिधि कलाकार द्विपतोनिल भट्टाचार्जी के सरोद वादन की हुई, वह  कोलकाता से दरबार में जुड़े। उन्होंने राग श्याम कल्याण में आलाप, जोड़ एवं झाला सुनाया एवं अंत में राग शिवरंजिनी की रचना की प्रस्तुति से अपने कार्यक्रम का समापन किया। तबला वादन के माध्यम से मैनक बिस्वास ने सहयोग प्रदान किया। छठीं निशा की अंतिम प्रस्तुति हेतु श्री संकट मोचन संगीत समारोह की पहली महिला कलाकार विदुषी कंकना बनर्जी मुंबई से साथ जुड़ीं। उन्होंने हनुमान भजन एवं "ठुमक चलत राम चंद्र" गाकर सुनाया।

अगले वर्ष संगीत समारोह की घोषणा

छह दिवसीय श्री संकट मोचन संगीत समारोह के अंतिम दिन महंत प्रोफेसर विशंभरनाथ मिश्र ने ऑनलाइन घोषणा करते हुए बताया कि संगीत समारोह का एक दिन और विस्तार किया जा रहा है। अगले वर्ष श्री संकट मोचन संगीत समारोह 20 से 25 अप्रैल तक आयोजित होगा। 16 अप्रैल को श्री हनुमान जयंती मनाई जाएगी। 17, 18 और 19 अप्रैल को ब्यास सम्मेलन होगा।