सृष्टि की पालनहार और संहारक है भगवती, देवी उपासना के लिए भाव की प्रधानता जरुरी...
Bhagwati is the savior and destroyer of the universe the primacy of emotion is necessary for the worship of Goddessसृष्टि की पालनहार और संहारक है भगवती, देवी उपासना के लिए भाव की प्रधानता जरुरी...
वाराणसी,भदैनी मिरर। शंकुलधारा पोखरे पर चल रहे 51 दिवसीय लक्षचण्डी यज्ञ के 13 वें दिन रविवार को 300 वैदिक ब्राम्हणों द्वारा विधि-विधान से पूजन अर्चन कर देवताओं का आव्हान किया गया। श्रद्धालुओं ने यज्ञशाला की परिक्रमा कर कुंड में आहुति डाली।
इस दौरान देवी भगवत के तृतीय स्कंद का पाठ किया गया। महामंडलेश्वर स्वामी प्रखर जी महाराज ने बताया कि सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रम्हा है तो पालनहार माता भगवती है। धरती पर जब-जब पापियों की संख्या बढ़ी और साधु-संतों पर विपदा आती है तो वही भगवती स्वयं सृष्टि का संहार भी करती है। यह सृष्टि भगवती से उत्पन्न होकर भगवती में ही समाहित हो जाती है।
श्रद्धालुओं को स्वामी प्रखर जी के शिष्य पूर्णनंदपुरी जी ने बताया कि देवी उपासना के लिए भाव की प्रधानता जरूरी है। भगवती ने धर्म की रक्षा के लिए शुम्भ-निशुम्भ, महिषासुर, मधु-कैटब जैसे राक्षसों का वध किया। महामारी से भी महामाया ही निजात दिला सकती है, आज धरती 'महामारी' से त्रस्त है, इसलिए लक्षचण्डी यज्ञ से भगवती से यह प्रार्थना की जा रही है कि अखंड भारत की स्थापना होने के साथ ही धरती को महामारी से मुक्त करें।
इसके साथ ही आगामी 1 फरवरी को परिसर में आयोजित कवि सम्मेलन की तैयारियां भी लगभग पूरी हो चुकी हैं। बता दें कि कवि सम्मेलन में हिंदी और संस्कृत के कविगण प्रतिभाग कर अपनी रचनाओं की प्रस्तुति करेंगे।
इसके बाद सायं 7 बजे भव्य गंगा आरती की गई। जिसमें स्वामी प्रखर जी महाराज के शिष्य स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज, आचार्य गौरव शास्त्री, आत्मबोधप्रकाश ब्रह्मचारी, काशी यज्ञ समिति के अध्यक्ष कृष्ण कुमार खेमका, सचिव संजय अग्रवाल डॉ सुनील मिश्रा, रवि प्रताप द्विवेदी, राजेश अग्रवाल चंदन सिंह,गोलू सिंह,अमित पसारी, दिशा पसारी, तनीषा अरोड़ा ,गौरव तिवारी, अंकित अग्निहोत्री, विशाल पांडेय, कुलदीप तिवारी सहित दर्जनों भक्त उपस्थित रहे।