Janmashtami 2024 : भगवान श्री कृष्ण का इकलौता मंदिर, जहां रात 12 बजे नहीं बल्कि दिन में ही जन्म लेते हैं कान्हा
आज हम आपको भगवान श्री कृष्ण के एक ऐसे इकलौते मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां जन्माष्टमी पर रात के बजाय दिन में ही भगवान का जन्म होता है. जी हां अब आप सोच रहे होंगे कि भला ऐसा कौन सा मंदिर है और ऐसा क्यों किया जाता है। तो चलिए आपको बताते है इसके पीछे की वजह क्या है
आज पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से श्री कृष्ण जनमोत्सव का पर्व मनाया जा रहा है. देशभर के मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण के दर्शन को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है. वहीं घरों में भी लोग कान्हा जी की मनोहक झांकी सजा रहे है और रात में लाला का जन्म होगा, क्योंकि भगवान ने रात 12 बजे जन्म लिया था. इसकारण पूरे देशभर के मंदिरों में जन्मोत्सव की परंपरा निभाई जाती है, लेकिन आज हम आपको भगवान श्री कृष्ण के एक ऐसे इकलौते मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां जन्माष्टमी पर रात के बजाय दिन में ही भगवान का जन्म होता है. जी हां अब आप सोच रहे होंगे कि भला ऐसा कौन सा मंदिर है और ऐसा क्यों किया जाता है। तो चलिए आपको बताते है इसके पीछे की वजह क्या है.
यहां स्थित है मंदिर
दरअसल हम जिस मंदिर की बात कर रहे है, वो राजस्थान की धार्मिक नगरी करौली में स्थित गोपीनाथ जी का मंदिर है। यहां जन्माष्टमी के अवसर पर जन्मोत्सव की परंपरा रात को नहीं बल्कि दिन में निभाई जाती है. करीब 150 वर्ष प्राचीन इस मंदिर में दिन में जन्मोत्सव की यह परंपरा भी सैकड़ो वर्ष पुरानी बताई जाती है. गोपीनाथ जी के इस मंदिर के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि यह करौली और राजस्थान का इकलौता ऐसा मंदिर है, जिसमें मुरलीधर श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर रात के बजाय दिन में ही जन्म लेते हैं.
इसलिए दिन में होता है जन्मोत्सव
दिन में जन्मोत्सव की इस परंपरा के बारे में गोपीनाथ जी मंदिर के पुजारी अजय मुखर्जी बताते हैं कि जन्माष्टमी के अवसर पर हर व्यक्ति रात के 12 बजे श्री कृष्ण जन्मोत्सव के बाद ही अपना व्रत खोल पाते हैं. इसी कारण से गोपीनाथ जी के मंदिर में बच्चों और बुजुर्गों की सहूलियत के लिए यह परंपरा काफी समय पहले बुजुर्गों द्वारा बनाई गई थी, जिसके अनुसार हर जन्माष्टमी पर दिन के 12 बजे ही गोपीनाथ जी के इस मंदिर में श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है, ताकि बच्चे और बुजुर्ग दिन में ही जन्मोत्सव के दर्शन कर अपना व्रत खोल सके। वह बताते हैं कि करीब 40 वर्ष से वह इस परंपरा को देखते आ रहे हैं,जो उनके बुजुर्गों द्वारा सैकड़ो वर्षों से निभाई जा रही है.
गोपीनाथ जी मंदिर के पुजारी अजय मुखर्जी यह भी बताते हैं कि दिन में जन्मोत्सव वाला यह गोपीनाथ जी का मंदिर करौली और राजस्थान का एक ऐसा मंदिर है. जिसमें रात के 12 बजे नहीं बल्कि दिन के 12 ही गोपाल जी का जन्म उत्सव मनाया जाता है. इसके अलावा करौली में जितने भी श्री कृष्ण के बड़े एवं छोटे मंदिर हैं. उन सभी में जन्मोत्सव रात को 12 बजे ही मनाया जाता है.
राजाशाही जमाने का है यह मंदिर
करीब 150 वर्ष से भी ज्यादा पुराने और राजाशाही जमाने के इस गोपीनाथ जी के मंदिर के विग्रह में तीन मूर्ति विराजमान है, जिसमें एक बीचो-बीच ठाकुर जी गोपीनाथ जी, दाएं तरफ राधा जी और उनकी बाई तरफ ललिता जी विराजमान है. मंदिर के पुजारी के मुताबिक गोपीनाथ जी का यह मंदिर उनके पूर्वजों को राजाओं द्वारा दान दिया गया था. तभी से वह गोपीनाथ जी के इस मंदिर की सेवा पूजा करते आ रहे हैं. मंदिर की मान्यताओं के बारे में ऐसा बताया जाता है कि इनके वक्ष स्थल के दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.
चार समय होती है इस मंदिर में पूजा अर्चना
मंदिर की पूजा अर्चना के बारे में पुजारी अजय मुखर्जी बताते हैं कि इस मंदिर में चारों पहर की पूजा की जाती है, जिसमें ठाकुर जी की पहली आरती और पूजा मंगला के समय की जाती है. इसमें ठाकुर जी को उठाया जाता है। दोपहर में इस मंदिर में राजभोग की आरती की जाती है जिसमें गोपीनाथ जी को प्रसाद लगाया जाता है और शाम को संध्या आरती के बाद रात को श्यन आरती की जाती है, जिसमें गोपीनाथ जी को प्रसाद लगाकर उनके पट बंद किए जाते हैं.
वहीं, तीज –त्योहारों के अवसर पर इस मंदिर में विशेष पूजा अर्चना के साथ गोपीनाथ जी को रोज लगने वाले प्रसाद की जगह विशेष प्रसादी लड्डू कचौड़ी का भोग लगाया जाता है.