संकटमोचन संगीत समारोह: '... आज जाने की जिद्द न करो' पर कमेंट बॉक्स में श्रोताओं की बाढ़...

संकटमोचन संगीत समारोह: '... आज जाने की जिद्द न करो' पर कमेंट बॉक्स में श्रोताओं की बाढ़...

वाराणसी, भदैनी मिरर। श्री संकटमोचन महाराज के दरबार में चल रहे संकटमोचन संगीत समारोह की चौथी निशा का आगाज पूर्णश भागवत के गायन से हुआ। पदमश्री पंडित उल्हास कशालकर के शिष्य पूर्णश ने राग विहाग में विलंबित एक ताल एवं द्रुत लय तीनताल में गाकर सुनाया। तबला सहयोग सागर गुजराती एवं हारमोनियम सहयोग जमुना बल्लभ दास गुजराती का रहा। 


कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति कुचिपुड़ी नृत्य की रही। दरबार में कुचिपुड़ी नृत्य के लिए विख्यात कलाकार विदुषी वनजा उदय हैदराबाद से प्रस्तुति के लिए जुड़ी। हनुमान दरबार में नृत्य के माध्यम से हाजिरी लगाई। कार्यक्रम की अगली कड़ी में गायन के लिए स्वरांजलि की अभ्यर्थना हेतु नई दिल्ली से पद्मजा चक्रवर्ती जुड़ी। कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति में गायन के माध्यम से स्वरंजलि की अभ्यर्थना हेतु नई दिल्ली से श्रीमती पद्मजा चक्रवर्ती जी जुड़ीं। उन्होंने राग पूरिया में मध्य लय तीनताल की रचना से प्रस्तुति आरंभ किया। अंत में चैती "चढ़ल चैत चित लागे ना रामा" गाकर अपनी प्रस्तुति को विराम दिया। कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति शहनाई वादन की रही। नई दिल्ली से लोकप्रिय शहनाई वादक कलाकार विकास बाबू प्रस्तुति हेतु जुड़े। उन्होंने राग चंद्र प्रभा में विलंबित एक ताल में एवं द्रुत तीनताल में रचना की प्रस्तुति दी। उनको तबला सहयोग सुभाष कांति दास ने दिया।


कार्यक्रम के अगली कड़ी में भजन गायन की प्रस्तुति हेतु मुंबई से गार्गी सिद्धांत दरबार से जुड़ीं। उन्होंने "श्री राम चंद्र कृपालु भजमन" से प्रस्तुति आरंभ किया तत्पश्चात् "राम गोविंद हरि" गाकर सुनाया। भजन गायन के पश्चात् सरोद वादन की प्रस्तुति हेतु नई दिल्ली से कलाकार पंडित विश्वजीत राय चौधरी जुड़े उन्होंने राग शुद्ध कल्याण में आलाप, जोड़ एवं झाला की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की अगली कड़ी में विख्यात ग़ज़ल गायक कलाकार सलीम अल्लाहवाले भोपाल से जुड़े। उन्होंने "रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ" "आज जाने की ज़िद ना करो" पर श्रोताओं को आनंद की अनुभूति कराई।


कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति कथक नृत्य की रही। बनारस घराने के युवा कलाकार द्वय सौरव गौरव मिश्र ने कथक नृत्य की प्रस्तुति दी। उन्होंने राम भजन से नृत्य आरंभ किया उसके बाद बनारस घराने की परंपरागत तिहाई, तोड़ा, टुकड़ा एवं चक्करदार की प्रस्तुति दी। तबला वादन पर  प्रीतम मिश्र, गायन एवं हारमोनियम पर संतोष मिश्र एवं सितार पर पंडित ध्रुव नाथ मिश्र ने सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति गायन की रही। कोलकाता से मीनाक्षी मजूमदार गायन की प्रस्तुति हेतु जुड़ीं। अपनी प्रस्तुति के अंत में उन्होंने  संकटमोचन मंदिर के नादलीन महंत  पंडित अमरनाथ मिश्र जी की अमर कृति "भवानी दयानी" राग भैरवी में प्रस्तुत किया।