अनुप के भजनों से आनंदित हुए श्रोता, तालियों के ताल के साथ श्रोता भी गाते रहे भजन...

The audience was delighted with the hymns of Anup, with the rhythm of applause, the audience also kept singing bhajans. श्री संकट मोचन संगीत समारोह की दूसरी निशा अनूप जलोटा के नाम रही. दर्शक दीर्घा में बैठे श्रोता तालियों की थाप पर अनुप के साथ भजन गुनगुनाते रहे.

अनुप के भजनों से आनंदित हुए श्रोता, तालियों के ताल के साथ श्रोता भी गाते रहे भजन...

वाराणसी, भदैनी मिरर। श्री संकटमोचन संगीत समारोह की दूसरी निशा अनूप जलोटा के नाम रही। जैसे ही वह हनुमत चरणों में मत्था टेककर मंच की ओर बढ़े सुधि श्रोताओं ने अपने अंदाज में 'हर-हर महादेव' के जयघोष से स्वागत किया। अनूप जलोटा ने 'ऐसी लागी लगन, मीरा हो गई मगन', राम जी चले न हनुमान के बिना, 'हनुमान जी चले न श्रीराम के बिना' जैसे भजनों की रसधार बहा दी।  

दूसरी निशा की शुरुआत अनु सिन्हा ने शिव वंदना की मनमोहक नृत्य कर सुधिजनो को एकाग्र कर दिया। शंकर डमरू बाजे,,,,भावपूर्ण कथक पर श्रोता डूबते और इतराते रहे। बीच बीच में तालियों की गड़गड़ाहट से संकट मोचन का परिसर गूंज उठा। कथक नृत्य की दूसरी प्रस्तूति देखने के लिए सुधिजनो की जुटान पांच बजे से होने लगी थी। सभी अपना स्थान छेकने छेकाने में व्यस्त रहे। शाम 7:30 संकट मोचन संगीत समारोह की दूसरी प्रस्तूति ज्यो ही आरम्भ हुई श्रोताओ की जय जयकार से मंदिर परिसर गूंज उठा। इसके बाद अनु सिन्हा ने राम भजन की प्रस्तूति कर श्रोताओ की खूब तालियां बटोरी। मेरे राम लला ने,,,,पर श्रोताओ ने खूब तालियां बजाई। कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति कोलकाता की श्रीमती सुलगना बेनर्जी ने शिव वंदना से नृत्य कीआ प्रस्तूति की। उन्होंने ओम नमः शिवाय,,, पर नृत्य की प्रस्तूति की। नटराज की मुद्रा में कथक कर आनंदित कर दिया। इनके साथ तबले पर पंडित दीनानाथ मिश्रा, सितार पर ध्रुव नाथ मिश्रा ने संगत की।

तीसरी प्रस्तुति में विदुषी कल्पना झोकरकर ने यादगार गायन किया। ग्वालियर घराने के उस्ताद रजतअली खां की परंपरा की गायिका विदुषी झोकरकर ने अपनी दूसरी हाजिरी में भी श्रोताओं को विशेष रूप से प्रभावित किया। इसके उपरांत उन्होंने राग काफी में टप्पा ‘ठुमक चलत बनवारी’ का गायन करते हुए उन्होंने हनुमान के दरबार में कृष्णप्रेम की धारा प्रवाहित की। उनके साथ तबले पर पं. कुबेरनाथ मिश्र और हारमोनियम पर विनय मिश्र ने संगत की।  चौथी प्रस्तुति में वरिष्ठ कलाकार पं. देवज्योति बोस का सरोदवादन हुआ। राग बागेश्री में आलाप,जोड़, झाला की पारंपरिक प्रस्तुति के बाद उस्ताद अमजद अली खां की स्वर रचना का गंभीर वादन किया। उन्होंने बनारस घराने का खास तराना बजाने के बाद वादन को द्रुत की बंदिश से विस्तार दिया। उनके साथ तबले पर संजू सहाय ने यादगार संगत की। लयकारी के दौरान टुकड़ों और तिहाईयों का खेल श्रोताओं को विशेष रूप से आनंदित कर गया।