5 तस्वीरों में देखें चिता भस्म की होली: औघड़ अंदाज में दिखे भक्त, भूत-पिशाच संग बाबा ने खेली होली...

See the Holi of Chita Bhasma in 5 pictures Devotees seen in a ghastly style Baba played Holi with ghost and vampire 5 तस्वीरों में देखें चिता भस्म की होली: औघड़ अंदाज में दिखे भक्त, भूत-पिशाच संग बाबा ने खेली होली...

5 तस्वीरों में देखें चिता भस्म की होली: औघड़ अंदाज में दिखे भक्त, भूत-पिशाच संग बाबा ने खेली होली...

वाराणसी,भदैनी मिरर। भक्तों संग अबीर गुलाल की होली खेलने के बाद काशी पुराधिति पति बाबा विश्वनाथ ने  मंगलवार को महाश्मशान घाट मणिकर्णिका पर चिता भस्म की होली खेली। इस दौरान बाबा के अडभंगी श्रद्धालुओं ने भूत–पिचाश, लंकिनी–डंकिनी, श्रृंगी—भृंगी, नंदी के बीच बाबा ने जमकर धधकती चिताओं के भस्म की होली खेली। इस दौरान बाबा के भक्तों ने एक दूसरे को होली की बधाई देते हुए महाश्मशान को प्रणाम किया। ऐसी अनूठी परंपरा  सिर्फ काशी में ही निभाई जाती है। जो प्राचीन काल से ही चली आ रही है। वहीं फिज़ा में डमरुओं की गूंज और हर-हर महादेव के उद्घोष। भांग, पान और ठंडाई की जुगलबंदी के साथ अल्हड़ मस्ती और हुल्लड़बाजी के बीच एक-दूसरे को मणिकर्णिका घाट का भस्म लगाया गया। यह दृश्य देखते ही बन रहा था। अद्भुत नजारा रहा। इतना ही नहीं इसके साथ ही जोगीरा सारा... रास् रास् रास् का उद्घोष बनारसी होली का अलग अंदाज बता गया। बता गया कि बाबा विश्वनाथ की नगरी की ये है फाल्गुनी बयार जो भारतीय संस्कृति का दीदार कराती है।

विदेशियों ने भी जमकर खेली होली 

सर्वप्रथम महाश्मशाननाथ सेवा समिति के अध्यक्ष चैनु साव व व्यवस्थापक गुलशन कपूर ने महाश्मशाननाथ का विधि-विधान से पूजन अर्चन किया। उसके बाद चिता भस्म की होली शुरू हुई। वहां शवदाह करने आये लोग भी यह मंजर देख आश्चर्यचकित रहे। पर काशीवासी चिताभस्म होली खेलने में मग्न थे। भावों से ही प्रसन्न हो जाने वाले औघड़दानी की इस लीला का लुत्फ देसी-विदेशी पर्यटकों ने भी भरपूर उठाया। अबीर गुलाल से भी चटख चिता भस्म की फाग के बीच वाद्य यंत्रों व ध्वनि विस्तारकों पर गूंजते भजन माहौल में एक अलग ही छटा बिखेरती रही। जिससे इस घड़ी मौजूद हर प्राणि भगवान शिव के रंग में रंग गया। इस अलौकिक बृहंगम दृष्य को अपनी नजरों में कैद करने के लिए गंगा घाटों पर देश-विदेश के हजारों-लाखों सैलानी जूट रहे।

यह हैं मान्यता

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रंगभरी एकादशी पर काशी विश्वनाथ माता गौरा कराने के बाद काशीवासियों को होली खेलने की अनुमति देते है और उसके अगले दिन श्मशान घाट पर महाश्मशान नाथ के रुप में अपने औघड़, भूत-प्रेत भक्तों साथ चिता भस्म की होली खेलते है। शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि महाश्मशान ही वो स्थान है, जहां कई वर्षों की तपस्या के बाद महादेव ने भगवान विष्णु को संसार के संचालन का वरदान दिया था। इसी घाट पर शिव ने मोक्ष प्रदान करने की प्रतिज्ञा ली थी। यह दुनिया की एक मात्र ऐसी नगरी है जहां मनुष्य की मृत्यु को भी मंगल माना जाता है। यहां शव यात्रा में मंगल वाद्य यंत्रों को बजाया जाता है।