वेदों से मिलता है सनातन संस्कृति का उपदेश, स्वामी प्रखर महराज बोले- मानवता सबसे बड़ा धर्म...

The teachings of Sanatan culture come from the Vedas Swami Prakhar Maharaj said humanity is the biggest religionवेदों से मिलता है सनातन संस्कृति का उपदेश, स्वामी प्रखर महराज बोले- मानवता सबसे बड़ा धर्म...

वेदों से मिलता है सनातन संस्कृति का उपदेश, स्वामी प्रखर महराज बोले- मानवता सबसे बड़ा धर्म...

वाराणसी,भदैनी मिरर। चार वेदों ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद ने सनातन संस्कृति के विराटता को दर्शाता है। ऋग-स्थिति, यजु-रूपांतरण, साम-गति‍शील और अथर्व-जड़ का मतलब है। उक्त बातें  महामंडलेश्वर स्वामी प्रखर जी महाराज ने यज्ञ श्रृंखला के चौथे दिन कहीं। उन्होंने बताया कि ऋग को धर्म, यजुः को मोक्ष, साम को काम, अथर्व को अर्थ भी कहा जाता है। इन्ही के आधार पर धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, कामशास्त्र और मोक्षशास्त्र की रचना हुई। वेद में एक ही ईश्वर की उपासना का विधान है और एक ही धर्म - 'मानव धर्म' का सन्देश है। वेद मनुष्यों को मानवता, समानता, मित्रता, उदारता, प्रेम, परस्पर-सौहार्द, अहिंसा, सत्य, संतोष, अस्तेय (चोरी ना करना), अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य, आचार-विचार-व्यवहार में पवित्रता, खान-पान में शुद्धता और जीवन में तप-त्याग-परिश्रम की व्यापकता का उपदेश देता है । 


गणेश चतुर्थी के दिन श्री लक्षचण्डी महायज्ञ के चौथे दिन शुक्रवार को  गणेश जी का विशेष नैवेद्य अर्चन हुआ। इसके साथ ही दुर्गासप्तशती पाठ का आयोजन किया गया जिसमें 500 विद्वान ब्राह्मणों ने मंत्रोच्चार के साथ भाग लिया। संकुलधारा पोखरा स्थित द्वारिकाधीश मंदिर के प्रांगण में चल रहे महायज्ञ में चारों वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद) का वेद पारायण हुआ। इनके मंत्रों का पाठ शक्ल यजुर्वेद का स्महिता मुख्य आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के आचार्यत्व में आचार्य सुनील दीक्षित, अरुण दीक्षित, गजानन सोमण, मनोज वशिमणि, अनुपम दीक्षित, अमित अगस्ती सिहित 13 आचार्यों की देखरेख में हुआ। 


वहीं देर शाम को गंगा की महाआरती का आयोजन किया गया जिसमें आचार्य गौरव शास्त्री,आत्मबोध प्रकाश के साथ काशी के महायज्ञ समिति 2022 के अध्यक्ष कृष्ण कुमार खेमका, सचिव संजय अग्रवाल, सह.सचिव राजेश अग्रवाल, कोषाध्यक्ष सुनील नेमानी, आत्मबोध प्रकाश, आचार्य गौरव शास्त्री समेत बडी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

बता दें कि गुरुवार की देर शाम किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण भी श्री लक्षचण्डी महायज्ञ की साक्षी बनीं। उन्होंने इस दौरान स्वामी महामंडलेश्वर स्वामी श्री प्रखर जी महाराज से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लिया। इसके बाद यज्ञ में आहुति दी साथ ही पंडाल में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा के दर्शन पूजन भी किया। उन्होंने बताया कि वह काशी किसी व्यक्तिगत कार्य के लिए आई हुई थी। तभी उन्हें स्वामी प्रखर जी महाराज के शिष्य स्वामी पूर्णानंदपुरी जी से पता चला कि स्वामी जी भी काशी में है। जिसके तुरन्त बाद वह उनका आशीर्वाद लेने कार्यक्रम स्थल पहुंची।