काशी में ज्ञान-विज्ञान,संगीत कला के अधिष्ठात्री देवी के पूजन की धूम, विधि-विधान से हो रहे मां शारदा की आराधना...
Knowledge and science in Kashi, the glory of worshiping the goddess of music, the worship of mother Sharda being done by law. काशी में ध्यान विज्ञान संगीत कला के अधिष्ठात्री देवी के पूजन की धूम है। विधि विधान से मां शारदा की आराधना हो रही हैं।
वाराणसी,भदैनी मिरर। भोले की नगरी काशी शारदा आराधना में डूबी हुई है। चहुओर ज्ञान-विज्ञान, संगीत, कला और शिल्प की अधिष्ठाती वीणावादिनी की प्रतिमा पंडालो में स्थापित कर काशीवासी धूम-धाम से मना रहे है। आज से ही बसंत ऋतु की शुरुआत होती है, और खेतों में रौनक बढ़ जाती है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, वसंत पंचमी के ही दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इस दिन सभी को स्नान के बाद पीले रंग के कपड़े पहन कर मां सरस्वती की आराधना करनी चाहिए। मां सरस्वती ज्ञान, बुद्धि और विद्या की देवी हैं। उनकी कृपा से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। आज के ही दिन सूर्य का राशि परिवर्तन होता है। आज के दिन श्री विष्णु की पूजा का भी एक अलग महत्व है।
वसंत पंचमी है BHU का स्थापना दिवस
वसंत पंचमी का दिन काशी के लिए इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि इसी पुण्य दिन वर्ष 1916 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की आधारशिला रखी गई थी। शनिवार की सुबह BHU के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने स्थापना स्थल पर मां सरस्वती की आराधना कर महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के प्रति आदर भाव प्रकट करते हुए छात्रों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उधर, संपूर्णानंद संस्कृति विश्वविद्यालय में कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने भी मां वाग्देवी की विधिविधान से आराधना कर अपने छात्रों के मंगलमय भविष्य के लिए आशीर्वाद मांगा।