वाराणसी की सड़कों पर आधी रात मार्च निकालकर उठाई सम्मान और हक की आवाज, पितृसत्ता को बताया सामाजिक बुराई
दखल संगठन की ओर से देर रात मानस मंदिर के समीप जुटी महिलाएं और छात्राओं ने अनूठे तरीके से अपने सामना और हक की आवाज बुलंद की.
वाराणसी, भदैनी मिरर। दखल संगठन की ओर से देर रात मानस मंदिर के समीप जुटी महिलाएं और छात्राओं ने अनूठे तरीके से अपने सामना और हक की आवाज बुलंद की. आयोजित कार्यक्रम में महिलाओं और एलजीबीटी समुदाय के लोग उपस्थित रहे. इस दौरान दुर्गाकुंड से लँका तक मार्च निकाला गया. आधी रात में सड़क पर लड़कियों-महिलाओं और एलजीबीटी समुदाय के लोग नारे, गीत गाते और कविता पढ़ते हुए चल रहे थे.
दुर्गाकुंड क्षेत्र में जुटने पर दख़ल के ओर से उद्बोधन में कहा गया कि आगामी समय मे शक्ति की देवी माँ दुर्गा का पर्व आने वाला है. माता दुर्गा अंधेरे पर उजाले की जीत का प्रतीक हैं. आज बनारस में अपने कार्यक्रम की शुरुआत इस जगह से करके हम बुराई पर भलाई की जीत के विचार से प्रेरणा लेना चाहते हैं. मणिपुर में खुलेआम सड़क पर लड़कियों को निर्वस्त्र करके गैंगरेप किया जा रहा है. बंगाल में डॉक्टर बेटी के साथ बलात्कार और हत्या के जघन्य कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. इस घटना ने 2012 के निर्भया रेप केस की याद दिला दी है, हालांकि इसी बीच नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ( NCRB ) के आंकड़े भी सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगे हैं. यह आंकड़े वाकई हैरान करने वाले हैं. खासकर रेप और छेड़छाड़ पर सख्त कानून होने के बावजूद देश में हर साल ऐसे मामले बढ़ते जा रहे हैं.
मैत्री ने कहा कि मर्दांगी और पितृसत्ता एक सामाजिक बुराई है. ये बुराई समाज के सभी अंगों में पैठ बनाए हुए है. धर्म और धार्मिक स्थान मंदिर-मस्जिद-गिरजा सब जगह पुरुष ही पुरुष दिखाई देंगे और जब वो ही दिखाई देंगे तो नियम भी वही बनाएंगे. उन नियमो को बचाने के तर्क भी खुद गढ़ेंगे.एकता ने कहा कि 21वीं शताब्दी के स्वतंत्र भारत में महिलाएं रोज हिंसा, अपमान, बलात्कार गैर बराबरी से से जूझ रही है आइए अपने सम्मान की लड़ाई में एक जुट हों आजादी मिले 77 साल हो चुके हैं. हम महिलाएं आज भी आजाद होने का इंतजार कर रही हैं. ये कैसी आज़ादी है जिसमे हमारा हक़ हमारा हिस्सा नही है घटनाओं को भी समाज अलग अलग नजरिए से देख और चुन रहा है बोलने से पहले बड़े वर्ग की घटना छोटे समुदाय वर्ग की घटना हमे हर घटना के लिए तत्पर होने आवाज उठाने की जरूरत है. दख़ल से जुड़ी लोकगायिका ज्योति ने महिला अधिकार पर चेतना जगाने वाले स्वरचित गीत सुनाया. कार्यक्रम का संचालन शिवांगी ने और धन्यवाद नीति ने दिया. कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ इंदु पांडेय, एकता, शालिनी, अनुज, श्रुति, कुसुम वर्मा, आर्शिया, ज्योति, शानू इत्यादि सैकड़ो लोग शामिल रहे.