रेल मंत्री का फर्जी निजी सचिव गिरफ्तार, ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए अफसरों से गांठता था रुआब...

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का निजी सचिव बताकर ट्रांसफर-पोस्टिंग का झांसा देने वाले जालसाज रजत कुमार मिश्रा को गुरुवार को वाराणसी की साइबर क्राइम थाने की पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया। 

रेल मंत्री का फर्जी निजी सचिव गिरफ्तार, ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए अफसरों से गांठता था रुआब...

वाराणसी,भदैनी मिरर। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का निजी सचिव बताकर ट्रांसफर-पोस्टिंग का झांसा देने वाले जालसाज रजत कुमार मिश्रा को गुरुवार को वाराणसी की साइबर क्राइम थाने की पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया।  आरोपी रजत कुमार मिश्रा मूल रूप से बिहार के पश्चिमी चंपारण के मठिया राजपुर का रहने वाला है। वर्तमान में वह वाराणसी के भेलूपुर थाना के खोजवा और अस्सी क्षेत्र में ठिकाने बदल-बदल कर रहता था। उसके पास से जालसाजी में इस्तेमाल किया जाना वाला मोबाइल और 950 रुपए बरामद किए गए हैं।

कॉल डिटेल और सर्विलांस की मदद से किया गया गिरफ्तार

UP के एडीजी साइबर क्राइम को RPF के पुलिस महानिदेशक ने पत्र भेजा था कि मोबाइल नंबर 9140605348 से संबंधित रजत कुमार मिश्रा अपने आपको रेल मंत्री का निजी सचिव बताता है। यह व्यक्ति रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों को फोन कर अनुचित दबाव बनाता है। जबकि, रेल मंत्री के कार्यालय में रजत कुमार मिश्रा नाम का कोई कर्मचारी या अधिकारी नहीं है। UP के एडीजी साइबर क्राइम ने इसकी जांच वाराणसी के साइबर क्राइम थाने की पुलिस को सौंपी थी। मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल और सर्विलांस की मदद से रजत को चिह्नित कर उसे गिरफ्तार किया गया।


रेलवे अधिकारियों को करता था कॉल

सीओ साइबर क्राइम अविनाश चंद्र सिन्हा ने बताया कि पूछताछ में रजत ने स्वीकार किया कि वह अपने मोबाइल नंबर 9450410580 और 9140605348 से रेल मंत्री का फर्जी निजी सचिव बनकर रेलवे के अधिकारियों को फोन करता था। ट्रांसफर/पोस्टिंग कराने के नाम पर यूपी से लेकर बिहार और बंगाल तक रेलवे के कई कर्मचारियों से अब तक पैसा वसूला है। रेल मंत्री का निजी सचिव बन कर उसने कई लोगों का रेल टिकट कंफर्म कराकर पैसा कमाया है। काशी विश्वनाथ मंदिर कंट्रोल रूम में फोन कर वाराणसी के डीएम और गोरखपुर के डीएम का लायजनिंग अधिकारी बनकर या फिर रेल मंत्री का निजी सचिव बनकर अपना नाम आरके मिश्रा बताता था। फिर, प्रोटोकॉल के साथ लोगों को दर्शन कराता था और उनसे पैसा लेता था। वाराणसी के कोतवाली थाने, गोरखपुर के डीएम व एडीएम सिटी और डीवाईएसएस कॉमर्शियल लखनऊ रेलवे, कॉमर्शियल कंट्रोल लखनऊ रेलवे और डीवाईएसएस कॉमर्शियल रेलवे गोरखपुर के नंबर पर कॉल करता था। सभी को रेल मंत्री का सचिव बताकर अपने काम करने के लिए कहता था। एसपी देवरिया श्रीपति मिश्रा का भांजा बनकर भी कई बार अलग-अलग अधिकारियों को फोन कर अनुचित लाभ लिया हूं।

मौज मस्ती के लिए करता था ऐसा

रजत कुमार मिश्रा ने बताया कि पुलिस की पकड़ में कभी न आने के लिए वह सामान्य तौर पर पुजारी की वेशभूषा में ही रहता था। इससे उस पर किसी को शक भी नहीं होता था। रजत ने कहा कि वह इस काम में बीते दो-ढाई साल से संलिप्त है। उसने यह भी कहा कि उसे याद तो नहीं है कि उसने अब तक कितना पैसा कमाया। मगर, जो भी पैसा कमाया उससे वह नए-नए मोबाइल और कपड़े खरीदने से लेकर होटलों में ठहरने और मौज-मस्ती में खर्च कर दिया।आरोपी को गिरफ्तार करने वाली टीम में इंस्पेक्टर विजय नारायण मिश्र, हेड कांस्टेबल प्रभात कुमार द्विवेदी व श्याम लाल गुप्ता और कांस्टेबल गोपाल चौहान, गौतम, राहुल व अनिल शामिल थे।