15 तस्वीरों में छठ 2024 : गंगा घाटों पर उमड़ा आस्थावानों का जनसैलाब, अस्ताचलगामी सूर्य को अर्पित किया अर्घ्य
लोक आस्था के चार दिवसीय पर्व छठ ने काशी नगरी को आस्था और उत्साह से सराबोर कर दिया है। तीसरे दिन, सूर्य षष्ठी के अवसर पर गुरुवार शाम को लाखों श्रद्धालु महिलाओं और उनके परिजनों ने पूरी श्रद्धा से गंगा तट पर डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य अर्पित किया
वाराणसी, भदैनी मिरर। लोक आस्था के चार दिवसीय पर्व छठ ने काशी नगरी को आस्था और उत्साह से सराबोर कर दिया है। तीसरे दिन, सूर्य षष्ठी के अवसर पर गुरुवार शाम को लाखों श्रद्धालु महिलाओं और उनके परिजनों ने पूरी श्रद्धा से गंगा तट पर डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य अर्पित किया। बांस के सूप में विविध पकवानों और मौसमी फलों को सजाकर भगवान सूर्य और छठी मइया की पूजा की गई। इस अवसर पर महिलाओं ने अपने परिवार की संतति और सुख-समृद्धि की कामना की।
गंगा घाटों, तालाबों, सरोवरों और कुंडों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ दिखाई दी। छठ मइया के गीतों "बाट जे पूछेला बटोहिया" और "कांच ही बांस के बंहगिया" ने माहौल को भक्तिमय बना दिया। गंगा के किनारों पर हर तरफ उत्सव का माहौल था—कहीं सूप-दउरा माथे पर था तो कहीं ईख कांधे पर।
गंगा घाटों और वरुणा नदी से लेकर तालाबों और कुंडों तक आस्था के इस अद्वितीय दृश्य को देखने को मिला। अर्घ्य देने से पहले महिलाएं कमर तक पानी में खड़ी होकर फल से सजे बांस के सूप को हाथ में लेकर भगवान सूर्य की पूजा करती रहीं। सूर्यास्त के साथ पहला अर्घ्य देने के बाद महिलाएं छठ मइया के गीत गाते हुए घर लौटने लगीं। यह चार दिवसीय पर्व शुक्रवार को उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर संपन्न होगा।
गुरुवार दोपहर से ही गंगा तट, कुंड और सरोवरों पर व्रती महिलाएं कठिन 36 घंटे के उपवास के साथ छठ मइया के पारंपरिक गीत गाते हुए पहुंचने लगीं। परिजन भी पूजा सामग्री और फलों से भरी पोटली सिर पर लेकर उनके साथ चल रहे थे। सूप और दउरी में सजाए गए कलश पर जलता हुआ दीया लेकर व्रतियों के पति, पुत्र या भाई अर्घ्य देने के लिए उनके साथ आगे-आगे चल रहे थे। बच्चों और युवाओं में भी आस्था और उत्साह देखते ही बन रहा था।
जैसे ही डूबते सूर्य की लालिमा आकाश में फैली, व्रतियों ने भगवान सूर्य को पहला अर्घ्य दिया। ग्रामीण क्षेत्रों में भी श्रद्धालुओं ने नारियल, केला, सेव, ठेकुआ, और अन्य फल भगवान सूर्य को अर्पित किए। घाटों पर बच्चों ने आतिशबाजी की, और बैंड-बाजे के साथ परिजन नृत्य करते नजर आए। दशाश्वमेध घाट, अस्सीघाट, पंचगंगा और सामनेघाट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हुए। इसके अलावा, डीएलडब्ल्यू स्थित सूर्य सरोवर, लक्ष्मीकुंड, रामकुंड, और घरों में बने अस्थायी कुंडों पर भी व्रती महिलाएं और उनके परिवारजन अर्घ्यदान के लिए पहुंचे।