सोनभद्र में राष्ट्रपति: भोजपुरी में शुरु किया उद्बोधन, कहा ग्रामीण और वनवासी अंचलों में बसती है देश की आत्मा, पढ़े विंदुवार क्या बोला महामहिम ने...

सोनभद्र में राष्ट्रपति: भोजपुरी में शुरु किया उद्बोधन, कहा ग्रामीण और वनवासी अंचलों में बसती है देश की आत्मा, पढ़े विंदुवार क्या बोला महामहिम ने...

वाराणसी, भदैनी मिरर। पूर्वांचल के तीन दिवसीय दौरे पर आए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रविवार को सोनभद्र के सेवा कुंज आश्रम में आयोजित वनवासी संगम में बतौर मुख्य अतिथि हिस्सा लिया। इस दौरान उनके साथ उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। राज्यपाल का भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान राष्ट्रपति बनवासी समुदाय की जमकर सराहना की। कहा आज बनवासी समुदाय के बच्चे अपने बेहतर कार्यों से देश में नाम रौशन कर रहे है। राष्ट्रपति ने अपनी बातें भोजपुरी में शुरू की तो उपस्थित जनता ने उन्हें अपने बीच का सदस्य माना।


नीचे बिंदुवार पढ़िए राष्ट्रपति ने क्या कहा-

  • सबन भाई-बहिनी को जोहार ! माई बिंध्यवासिनी अउर ज्वाला देवी के आसीरबाद लेवे के खातिर अउर अपने बनवासी समाज के भाई-बहिनी से मिले हम ई सोनांचल में आज आइल हई। 
  • आज मुझे भगवान बिरसा मुंडा जी का स्मरण हो रहा है। उन्होंने अंग्रेजों के शोषण से वन संपदा और वनवासी समुदाय की संस्कृति की रक्षा के लिए अनवरत युद्ध किया और शहीद हुए। उनका जीवन केवल जनजातीय समुदायों के लिए ही नहीं बल्कि सभी देशवासियों के लिए प्रेरणा और आदर्श का स्रोत रहा है।
  • मुझे इस बात का संतोष है कि मेरी सांसद निधि की राशि का उपयोग आपके संस्थान व आश्रम के शिक्षा संबंधी प्रकल्प में हुआ है। किसी भी धनराशि का इससे बेहतर उपयोग नहीं हो सकता है। मैं आभारी हूं कि आप सबने मुझे योगदान करने का अवसर दिया और कल्याणकारी प्रकल्पों से जोड़े रखा।
  • मैं सभी शिक्षकों और सहयोगियों को बधाई देता हूं जिन्होंने वनवासी समुदाय के बच्चों को निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रशिक्षित और प्रेरित किया है। पिछले दो दशकों से वनवासी युवकों की इस पौध को तैयार करने में सक्रिय ‘सेवा कुंज आश्रम’ की पूरी टीम की मैं सराहना करता हूं।
  • मेरा मानना है कि हमारे देश की आत्मा, ग्रामीण और वनवासी अंचलों में बसती है। यदि कोई भी भारत की जड़ों से परिचित होना चाहता है, तो उसे सोनभद्र जैसे स्थान में कुछ समय बिताना चाहिए।
  • वनवासी समुदाय के विकास के बिना देश के समग्र विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है। सही मायनों में, आप सबके विकास के बिना देश का विकास अधूरा है। देश भर के हमारे आदिवासी बेटे-बेटियां खेल-कूद, कला, और टेक्नॉलॉजी सहित अनेक क्षेत्रों में अपने परिश्रम और प्रतिभा के बल पर देश का गौरव बढ़ा रहे हैं।
  • हमारा यह प्रयास होना चाहिए कि आधुनिक विकास में आप सभी वनवासी भाई-बहन भी भागीदारी करें; साथ ही आपकी सांस्कृतिक विरासत और पहचान भी संरक्षित और मजबूत बनी रहे।
  • आज यहां आकर मेरा यह विश्वास और दृढ़ हुआ है कि सनातन काल से चली आ रही हमारी संस्कृति के मूल तत्व हमारे जनजातीय और वनवासी भाई-बहनों के हाथों में सुरक्षित हैं। मुझे विश्वास है कि हमारे वनवासी भाई-बहनों का जीवन, प्रगति और परंपरा के समन्वय की मिसाल बनेगा।