बनास डेयरी प्लांट का PM करेंगे उद्घाटन: पूर्वांचल में आएगी दूध क्रांति, दूध उत्पादकों को मिलेगा रोजगार का अवसर, मिठाइयां भी लुभाएगी...
पीएम नरेंद्र मोदी अपने दूसरे कार्यकाल के अंतिम दौरे पर गुरुवार को दो दिनों के लिए वाराणसी पहुंच रहे है. इस दौरान करखियावं में बने अमूल बनास डेयरी प्लांट का उद्घाटन भी करेंगे.
(संदीप मिश्रा/वीरेंद्र पटेल)
वाराणसी, भदैनी मिरर। पीएम नरेंद्र मोदी अपने दूसरे कार्यकाल के अंतिम दौरे पर गुरुवार को दो दिनों के लिए वाराणसी पहुंच रहे है. पीएम मोदी कारखियावं (पिंडरा) में बनास काशी संकुल का उद्घाटन करेंगे. इसके साथ ही पूर्वांचल में दूध क्रांति (दुग्ध क्रांति) की शुरुआत हो जायेगी. पीएम के कार्यक्रम और प्लांट के कार्यों की जानकारी प्लांट पर विधानसभा अध्यक्ष और बनास डेयरी के अध्यक्ष शंकर चौधरी के आलावा यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर के आलावा विधायक एवं जनप्रतिनिधि मौजूद रहे.
शंकर चौधरी ने बताया कि प्लांट का निर्माण 30 एकड़ क्षेत्र में किया गया है. इस प्लांट का शिलान्यास वर्ष 2021 में 23 दिसंबर को प्रधानमंत्री के हाथों हुआ था. बनास डेरी वर्तमान में पूर्वाचल क्षेत्र में वाराणसी, मीरजापुर, गाज़ीपुर और रायबरेली जिलों से प्रति दिन लगभग 3 लाख लीटर दूध एकत्र कर रही है और इस संयंत्र के चालू होने के बाद, बनास डेरी बलिया, चंदौली, प्रयागराज, जौनपुर और अन्य जिलों से भी दूध एकत्र करेगी. उन्होंने बताया कि यह परियोजना न केवल 500 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करेगी, बल्कि 1 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर भी सृजित करेगी.
पूर्वाचल में 15 नए जिलों में होगा विस्तार
बनारस डेयरी के अध्यक्ष शंकर चौधरी ने बताया कि वर्तमान में यूपी में बनास डेरी का दूध का कारोबार 48 जिलों (7 पूर्वांचल में) के 4,600 गांवों में फैला हुआ है. यह दूध संग्रह अगले साल तक 70 जिलों के 7,000 गांवों तक विस्तारित हो जाएगा. जिसमें पूर्वाचल में 15 नए जिलों का विस्तार भी शामिल है. पूर्वांचल में 1,346 से ज्यादा समितियां हैं जो आर्थिक वर्ष 2024-25 तक बढ़कर 2,600 समितियां हो जाएगी. बनास डेरी मौजूदा समय में यूपी में 3.6 लाख दूध उत्पादकों के साथ काम कर रही है. इनमें से लगभग 80 हजार दूध उत्पादक पूर्वाचल एवं 28 हजार दूध उत्पादक वाराणसी के हैं. पूर्वांचल में वर्तमान में खुशीपुर, चोलापुर, मिर्जापुर, गाजीपुर और दूबेपुर में 5 चिलिंग सेंटर काम कर रहे हैं और अगले महीने तक 8 और चालू हो जाएंगे. यूपी में कुल मिलाकर, 29 चिलिंग सेंटर चालू हैं और आर्थिक वर्ष 2024-25 तक यह बढ़कर 50 हो जाएंगे. इस बुनियादी ढांचे के माध्यम से वर्तमान में उत्तर प्रदेश से 19 लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक दूध एकत्रित किया जा रहा है जिसमें औसतन वाराणसी से 1.3 लाख लीटर प्रतिदिन और पूर्वांचल से 3 लाख लीटर प्रतिदिन दूध आ रहा है. उत्तर प्रदेश में आर्थिक वर्ष 2024-25 तक यह संख्या बढ़कर प्रतिदिन 25 लाख लीटर हो जाएगी, जिसमें 9 लाख लीटर प्रतिदिन वाराणसी और पूर्वांचल से आएगा.
80 हजार दूध उत्पादकों का हुआ पंजीकरण
श्री चौधरी ने बताया कि बनास डेरी पहले से ही पूर्वांचल के 8 जिलों से दूध एकत्र कर रही है, जिसमें 1,346 समितियां संगठित की जा चुकी हैं. इनमें बनास डेरी ने 80,000 दूध उत्पादक परिवारों को पंजीकृत किया है. वर्तमान में बनास डेरी प्रतिदिन 2.93 लाख लीटर दूध एकत्रित कर रही है जो वर्ष का कुल 6.3 करोड लीटर होता है. आर्थिक वर्ष 2024-25 के लिए बनास डेरी का लक्ष्य पूर्वांचल के 21 जिलों को कवर करना है तथा 2,600 दुध समितियों का गठन करना है जो 1 लाख दूध उत्पादक परिवारों को पंजीकृत करेंगी. आने वाले समय में 3 लाख दूध उत्पादक परिवार बनास डेरी से जुड़ेंगे. बनास श्री कुस 13 दूध शीतलन केंट बनाकर प्रतिदिन 7 लाख लीटर दूध संग्रह और पूर्वांचल में कुल प्रतिवर्ष 31 करोड़ लीटर तक पहुंचने की योजना बना रही है.
वाराणसी में दूध संचालन
बनास डेरी पहले से ही वाराणसी से दूध इकट्ठा कर रही है, जिसमें 372 गांव शामिल हैं, जिसमें बनास डेरी की 192 समितियां और 28,000 दूध उत्पादक परिवार सम्मिलित हैं. वर्तमान में वाराणसी में बनास डेरी प्रतिदिन 1.32 लाख लीटर दूध एकत्रित कर रही है जो कुल 23 करोड़ लीटर है. आर्थिक वर्ष 2024-25 के लिए बनास डेरी का लक्ष्य 524 गांवों को कवर करना है जिनमें 30 हजार दूध उत्पादक परिवारों को पंजीकृत किया जायेगा. बनास डेरी वाराणसी में 3 दूध शीतलन केंद्र बनाने की योजना बना रही है, जिनमें से 2 चालू हैं. इससे वाराणसी में प्रति दिन 2 लाख लीटर और कुल 7 करोड़ लीटर दूध संग्रहण हो जाऐगा.
राष्ट्रीय स्तर को छुएंगी बनारस की मिठाइयां
अन्य ताजे दूध उत्पादों के अलावा बनास डेरी ने बतास काशी संकुल में प्रतिदिन 10,000 किलोग्राम क्षमता की अत्याधुनिक पारंपरिक भारतीय मिठाइयों के निर्माण की सुविधा स्थापित की है. इस संयंत्र में विभिन्न मिठाइयाँ जैसे लाल पेड़ा, लौंगलता, बेसन के लड्डू, मोतीचूर के लड्डू, रस मलाई, रबड़ी, काजू कतली, मिल्क केक, रसगुल्ला और गुलाबजामुन का निर्माण किया जाएगा. इन सभी मिठाइयों का निर्माण यथासंभव स्वचालित रूप से सबसे स्वच्छ वातावरण और उपकरणों में किया जाएगा ताकि मिठाई की लगातार गुणवत्ता, सेल्फ लाइफ और पारंपरिक स्वाद को सुनिश्चित किया जा सके. विभिन्न मिठाइयों की पैकिंग उपभोक्ता की आवश्यकता के अनुसार विभिन्न SKU में की जाएगी. मिठाइयों की ताजगी, सेल्फ लाइफ और उपभोक्ताओं की सुविधा बढ़ाने के लिए लाल पेड़ा, लड्डू, लौंगलता और काजू कतली के लिए सिंगल सर्व पैकिंग की शुरुआत इस प्लांट से की जा रही है. वाराणसी की प्रसिद्ध मिठाईयों को अमूल ब्रांड के तहत राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाया जाऐगा.
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