PM मोदी ने की नागनथैया से लेकर संकटमोचन संगीत समारोह तक की चर्चा, अटल आवासीय विद्यालयों का किया लोकार्पण...
पीएम मोदी रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में 16 अटल आवासीय विद्यालयों का लोकार्पण कर, काशी सांसद सांस्कृतिक महोत्सव के विजेताओं को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया.
वाराणसी, भदैनी मिरर। पीएम मोदी रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में 16 अटल आवासीय विद्यालयों का लोकार्पण कर, काशी सांसद सांस्कृतिक महोत्सव के विजेताओं को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. उसके बाद काशी सांसद खेलकूद प्रतियोगिता के वेबसाइट, क्यूआर और रजिस्ट्रेशन का पीएम ने शुरुआत की. साथ ही घोषणा की अब काशी सांसद ज्ञान प्रतियोगिता की शुरुआत की.
पीएम मोदी ने कहा की 2014 में जब मैं यहां आया था, तो मैंने जिस काशी की कल्पना की थी, विकास और विरासत का वो सपना अब धीरे-धीरे साकार हो रहा है. मुझे विश्वास है कि बनारस के लोगों के प्रयास से आने वाले वर्षों में ये सांस्कृतिक महोत्सव अपने आप में काशी की एक अलग पहचान बनने वाला है. काशी और संस्कृति एक ही ऊर्जा के दो नाम हैं.
काशी को तो देश की सांस्कृतिक राजधानी होने का गौरव प्राप्त है, यहां की गली गली में गीत गूंजते हैं. ये स्वाभाविक भी है, क्योंकि ये नटराज की अपनी नगरी है. सारी नृत्य कलाएं नटराज के तांडव से ही प्रकट हुई हैं.सारे स्वर महादेव के डमरू से उत्पन्न हुए हैं. सारी विद्याओं ने बाबा के विचारों से जन्म लिया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने काशी की पहचान बताते हुए कहा की ' सात वार, नौ त्यौहार " वाली मेरी काशी में कोई भी कार्य गीत-संगीत के बिना पूरा हो ही नहीं सकता. चाहे घर की बैठकी हो या बाजरे पर बुढ़वा मंगल, भारत-मिलाप हो या नागनथैया, संकटमोचन का संगीत समारोह हो या देवदीपावली यहां सब कुछ सुरों में समाया हुआ है.
पीएम मोदी ने कहा की आज यहां काशी सांसद खेल प्रतियोगिता के पोर्टल को भी लॉन्च किया गया है.सांसद खेल प्रतियोगिता हो, सांस्कृतिक महोत्सव हो, ये तो काशी में नई परंपराओं की शुरुआत है. अब यहां काशी सांसद ज्ञान प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाएगा. कोशिश यही है कि काशी के इतिहास, समृद्ध विरासत, यहां के त्योहार, यहां के खानपान के प्रति जागरूकता और बढ़े. बनारस सदियों से शिक्षा का भी बड़ा केंद्र रहा है. बनारस की शैक्षणिक सफलता का सबसे बड़ा आधार है-इसका सर्वसमावेशी स्वभाव. देश-दुनिया के कोने-कोने से लोग आकर यहां पढ़ाई करते हैं. इतने भव्य स्कूल हमारे यहां मजदूरी करने वाले लोगों और समाज के सबसे कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए हैं. यहां उनको अच्छे संस्कार मिलेंगे, अच्छी और आधुनिक शिक्षा मिलेगी. जिनकी कोरोना में दुःखद मृत्यु हो गई, उनके बच्चों को भी इन आवासीय विद्यालयों में निःशुल्क पढ़ाया जाएगा. बनारस सदियों से शिक्षा का भी बड़ा केंद्र रहा है.
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए हमने शिक्षा व्यवस्था की पुरानी सोच को भी बदला है. अब हमारे विद्यालय आधुनिक बन रहे हैं. क्लासेस स्मार्ट हो रही हैं. भारत सरकार ने देश के हजारों स्कूलों को आधुनिक बनाने के लिए पीएम-श्री अभियान भी शुरू किया है.