वाराणसी में भी शुरु हुआ मोबाइल वायरलेस ट्रायल, DG टेलीकॉम बोले - तकनीक रूप से दक्ष होगी पुलिस...
पुलिस विभाग को लगातार तकनीक रूप से दक्ष बनाते हुए स्मार्ट करने की कोशिश की जा रही है. इसके तहत लखनऊ के बाद वाराणसी में भी मोबाइल वायरलेस ट्रायल की शुरुआत हो गई है.
वाराणसी, भदैनी मिरर। DG टेलीकॉम संजय एम तर्डे ने मंगलवार को एडीजी जोन वाराणसी रामकुमार और पुलिस कमिश्नर मुथा अशोक जैन के साथ वाराणसी जोन में भी मोबाइल को इंटिग्रेड करते हुए वायरलेस कम्युनिकेशन को मजबूत बनाने के लिए मोबाइल वायरलेस के टेस्टिंग की शुरुआत की गई है. इससे पुलिस तकनीकी रूप से दक्ष होगी.
सुरक्षा में नहीं लगेगी सेंध
DG टेलीकॉम संजय एम तर्डे ने बताया की वीवीआईपी मूवमेंट में अक्सर वायरलेस सेट पर लोकेशन बताने के दौरान यदि कोई गाड़ी चौराहे पर खड़ी है तो आम जनता भी सुनती है. मोबाइल वायरलेस होने से यह चीजे खत्म हो जाएंगी. उन्होंने बताया की वन-टू-वन किसी महत्वपूर्ण घटना को लेकर अब ग्रुप कम्युनिकेशन संभावित है. पुश टू वीडियो के माध्यम से महज कुछ सेकेंड में अफसर घटना की वास्तविक स्थिति भी देख सकते है. यह पूरी तरह सुरक्षित रहेगा, यदि ट्रायल सफल रहा तो इसका प्रयोग शुरु किया जायेगा.
सिटीजन सेंट्रिक को लेकर शुरु हुआ ट्रायल
डीजी ने कहा की अगर वायरलेस मोबाइल में होगा तो उसे कान में आसानी से लगाकर ऑफिसर या कॉन्स्टेबल काम कर सकते हैं. अनुभवी अधिकारी अगर समय से घटनास्थल पर उपलब्ध हो जाते है तो स्वाभाविक रूप से घटना को डील करने में आसानी और राहत होगी. जिसे हम सिटीजन सेंट्रिक कहते हैं. इसी सिटीजन सेंट्रिक व्यवस्था को पुलिस व्यवस्था पर केंद्र व प्रदेश सरकार की नीति है. इसी के आधार पर ट्रायल किया जा रहा है. अभी हम इसमें सुरक्षा के पैमाने पर इसकी उपयोगिता के संबंध में जिस प्रकार पश्चिम में प्रयोग किया है और काफी अच्छी उपयोगिता संज्ञान में आई है. उसी प्रकार अब हम बनारस, अयोध्या, मथुरा और प्रयागराज जैसे स्थानों पर भी करेंगे कि इसे किस प्रकार उपयोग में लाया जा सकता है. मौजूदा वायरलेस सिस्टम से कोई छेड़छाड़ नही की जाएगी. उसके साथ अल्टरनेट ग्रुप आफ कमेटी बनाई जायेगी. वह एक तरह से पैरलर रखकर उसमे किसी प्रकार की कोई छेड़खानी नही होगी, हमे यह देखना है कि यह सुरक्षित है या नही. जब ट्रायल सफल होगा तभी लगाया जाएगा.
चौकी इंचार्ज स्तर तक होगा ट्रायल
डीजी कम्युनिकेशन ने बताया की ट्रायल के दौरान यह सिस्टम इंस्पेक्टर स्तर के अलावा चौकी प्रभारियों तक के मोबाइल के देकर ट्रायल करवाया जायेगा. उनसे यह सुविधा बेहतर बनाने के लिए विचार भी मांगे जाएंगे. इसमें सीसीटीएनएस की भी व्यवस्था होगी. किसी प्रकरण की विवेचना किस तरह की गई है, विवेचक घटनास्थल पर गया है या नहीं यह सब फीड होगा ताकि कोर्ट में अभियुक्तों को सजा दिलवाने में मदद मिल सके.