काशी के उद्यमी की मांग, कारोबारियों के अनुरुप हो बजट...
वाराणसी/भदैनी मिरर। बनारस इंडस्ट्रियल एंड ट्रेड एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं प्रमुख उद्यमी अशोक कुमार गुप्ता ने एक फरवरी को प्रस्तावित केंद्र सरकार के बजट को कारोबारियों के अनुरूप बनाने की मांग की। उन्होंने बताया कि निर्यातकों को एमईआईएस योजना के अंतर्गत जो टैक्स रिफंड ड्रा बैक से नहीं मिलता था वह इस योजना के द्वारा मिल जाता था। इस योजना को 31 दिसंबर 2020 से बंद कर दिया गया है। इसकी जगह एक जनवरी से दूसरी योजना लागू कर दी गई है। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही खेद का विषय है कि पिछले 9 महीने से किसी भी निर्यातक को टैक्स रिफंड का पैसा नहीं मिला है। महामारी की इस मंदी के चलते वैसे ही निर्यातकों का कैश फ्लो रुक गया है। साथ ही निर्यात का अलग अलग उत्पादों में लाखों रुपए बकाया है और निर्यातक द्वारा रिफंड के लिए प्रार्थना पत्र देने पर जबाब मिलता है कि "निर्यातक कृपया ध्यान दें कि ऑनलाइन बिल तभी होगा जब एमईआईईएस योजना के लिए बजट मौजूद होगा क्योंकि इस योजना के लिए 1 अप्रैल 2019 से बजट उपलब्ध नहीं है।"
अशोक गुप्ता ने कहा कि फियो पिछले छह माह से इस मामले को सरकार के सामने उठाने का प्रयास कर रहा लेकिन अभी तक कोई कार्यवाई नहीं हुई है। साथ ही निर्यातक बैंक के ब्याज देते देते परेशान है और सरकार बजट नहीं दे पा रही है। सरकार का कहना है कि कोविड में सरकार का बहुत पैसा खर्च हो गया है लेकिन सरकार को विदेशी मुद्रा और लोगो को रोजगार की जरुरत नहीं है सरकार से निवेदन है कि अविलम्ब एक अप्रैल से 31 दिसंबर 2020 तक जितना निर्यात हो गया है वह पैसा तुरंत जारी कर दे।
अशोक कुमार गुप्ता ने बताया कि पूर्वांचल से जितने भी उत्पाद निर्यात होते है वह सभी अधिकतर उत्पाद जीआई है। ज्यादातर निर्यातकों का काम बंद होने के कगार पर है इसका सीधा अर्थ है कि व्यापक रूप में बेरोजगारी फैलेगी और बैंको का पैसा डूबेगा खाता एनपीए की ओर अग्रसर हो रहे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोकल से ग्लोबल का नारा कुछ सरकारी अधिकारी जो बजट बनाने में लगे हैं उन्हें यह याद दिलाना अति आवश्यक है।
अशोक कुमार गुप्ता ने कहा कि मेक इन इण्डिया भारत सरकार की एक नीति को हम डब्ल्यू टी ओ के दबाव में नहीं बदल रहे है कि आयात शुल्क कम से कम जीआई उत्पादों पर 45 प्रतिशत कर दी जाए क्योंकि डब्ल्यू टी ओ के अंतर्गत मान्य है सरकार एंटी डम्पिंग शुल्क लगाने का खुद भी निर्णय ले सकती है। लेकिन वह भी नहीं लगा रही है। आज भी चाइनीज उत्पादों से पूरा देश भरा पड़ा है।इससे सरकार की आय बढ़ेगी करोडो लोगो को रोजगार मिलेगा और मेक इन इंडिया की नीति सफल होगी। श्री गुप्ता ने कहा कि जीआई उत्पादों की प्रदर्शनी का आयोजन करके उत्तर प्रदेश सरकार ने शिल्पियों के लिए सराहनीय कदम है। परन्तु बड़ा ही खेद का विषय है जीआई उत्पादों पर किसी भी किस्म की निर्यात में विशेष सुविधा नहीं दी जा रही है।
अशोक कुमार गुप्ता ने कहा कि लघु उद्योगों की कोरोना काल के बाद बहुत पुरानी मांग है कि 15 हजार रुपए तक के तनख्वाह पाने वाले सभी कर्मचारियों का ईएसआई का अंशदान भारत सरकार दे, इस मांग के जबाब में लघु उद्योगों को लेकर जो नीति निर्धारित की गई उसके अनुसार लघु उद्योगों में 20 से 100 तक की श्रेणी में जो श्रमिक है उसमे सिर्फ दो कर्मचारी को यह छूट मिली है। जबकि सरकार की यह घोषणा एक झुनझुना है। कम से कम जितने नए कर्मचारी रखे जाए बिना किसी छूट के दो साल तक जैसा की योजना में है इससे रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।
श्री गुप्ता ने कहा कि भारत सरकार की एक योजना लघु उद्योगों में अप्रेंटिस की है, और जहां तक जानकारी है वाराणसी में लोगो ने इसमे पंजीकरण भी कराया और अप्रेंटिस भी रखे लेकिन आजतक कौशल विकास मंत्रालय के अधिकारी इस योजना से सम्बंधित फाइलें दबा दबा कर बैठे हुए है। सरकार को इस योजना को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि देश में श्रमिकों के कौशल विकास में वृद्धि हो, यह केवल कागजी योजना बनकर रह गई है। अनुरोध है कि प्रस्तावित बजट में इसके बजट में वृद्धि किया जाए।
उन्होंने मांग किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्लीन इंडिया ग्रीन इंडिया के विजन को पूरा करने के लिए जितने भी लघु उद्योग दिए है सभी में सौर ऊर्जा विद्युत लगाने के लिए सरकार 50 प्रतिशत की सब्सिडी दे इससे विदेशी मुद्रा भी बचेगी और प्रदूषण भी नहीं होगा, और देश में बिजली की कही कोई कमी नहीं रहेगी। हर उद्योग अपने छत पर आसानी इसे लगा सकता है।
अशोक कुमार गुप्ता ने बताया कि यदि व्यापार को प्राइवेट लिमिटेड के अंतर्गत किया जाए तो आयकर की दर 15 से 22 प्रतिशत है परन्तु यदि यही व्यापार प्रतिष्ठान या फर्म के अंतर्गत किया जाए तो आयकर की दर 30 प्रतिशत है। जो कि एक विसंगति है इसे दूर किया जाना चाहिए। अशोक कुमार गुप्ता ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति की आय 5 रुपए है तो उसे एक भी आयकर नहीं देना पड़ता परन्तु आय 5 रुपए से अधिक होने पर न्यूनतम कर 13000 रुपए हो जाता है तथा 5 रुपए से अधिक पर सीधे 20 प्रतिशत कर है। उदहारण के तौर पर यदि एक व्यक्ति की आय 5 रुपए है तो कर शून्य होगा परन्तु आय 5.00010 है तो कर 13000 रुपये हो जायेगा। यह नियम कर दाताओ को भी कर चोरी के लिए प्रेरित करता है।