जिपं अध्यक्ष: सपा का पर्चा खारिज, बीजेपी निर्विरोध जीती, सपा ने जमकर किया विरोध बोले जाएंगे कोर्ट...
वाराणसी, भदैनी मिरर। वाराणसी से भी जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिये सपा से उम्मीदवार चंदा यादव का पर्चा खारिज हो गया। शनिवार को सपा और भाजपा प्रत्यशियों लाव लश्कर के साथ नामांकन के लिए जिला मुख्यालय पहुंचे थे। देर रात जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने इस बात की जानकारी दी कि वाराणसी जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिये समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी चंदा यादव का पर्चा खारिज कर दिया गया है।
इसके बाद बीजेपी प्रत्याशी पूनम मौर्य वाराणसी जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिये अकेली प्रत्याशी रह गयी हैं। इनके निर्विरोध चुने जाने की केवल घोषणा बाकी रह गयी है।
जिलाधिकारी के अनुसार जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर दो प्रत्याशियों श्रीमती चंदा यादव और श्रीमती पूनम मौर्या द्वारा 2-2 नामांकन पत्र दाखिल किए गए थे। इनकी स्क्रूटनी दोपहर 3 बजे उसी क्रम में शुरू हुई। दोनों पक्षों ने एक दूसरे के नोटरी अधिवक्ताओं की वैद्यता के बारे में लिखित आपत्ति दाखिल की। दोनों द्वारा जवाब देने के लिए 2-2 घंटे का लिखित टाइम मांगा था जो उनको दिया गया। शाम 6:30 बजे पुनः स्क्रूटनी शुरू हुई जिसमें दोनों प्रत्यशियों ने अपना अपना पक्ष रखा।
पूरी स्क्रूटनी के उपरांत पूनम मौर्या का एक नामांकन पत्र अस्वीकृत हुआ और एक स्वीकृत हुआ। चंदा यादव के दोनों नामांकन पत्र अस्वीकृत हुए। इस प्रकार विधिवत रूप से एक ही प्रत्याशी पूनम मौर्या का नामांकन वैद्य पाया गया।
वहीं सपा प्रत्याशी चंदा यादव का नामांकन अस्वीकार किये जाने का कारण उम्मीदवार द्वारा शपथ पत्र पर वर्णित प्रतिज्ञा सक्षम व वैध अधिकारी के समक्ष लेना प्रमाणित न होना बताया जा रहा है।
इससे पहले शाम होते ही समाजवादी पार्टी के नेताओं ने जिला मुख्यालय पहुंचकर नामांकन प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगाना शुरू कर दिया था। सपा जिलाध्यक्ष सुजीत यादव और सपा नेता मनोज राय धूपचंडी ने इस बात पर आपत्ति दर्ज करायी थी कि रायफल क्लब में स्क्रूटनी कक्ष के अंदर कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर और पिंडरा विधायक डॉ अवधेश सिंह कैसे पहुंच गये।
सपा नेताओं के अनुसार दोनों बीजेपी नेता आखिर क्यों स्क्रूटनी कक्ष में गये थे। ये लोग चाहते हैं कि सपा प्रत्याशी का पर्चा निरस्त करा दिया जाए। सपा नेताओं के अनुसार पर्चा निरस्त होने के बाद हम कोर्ट जाएंगे, ऐसी चीजें होंगी तो निश्चित रूप से ये लोकतंत्र के लिये शर्मनाक है।