जांच रिपोर्ट: जाने क्यों हो रहा था गंगा का पानी हरा, DM ने शासन को भेजी रिपोर्ट, विभागों को दिया निर्देश...

जांच रिपोर्ट: जाने क्यों हो रहा था गंगा का पानी हरा, DM ने शासन को भेजी रिपोर्ट, विभागों को दिया निर्देश...

वाराणसी,भदैनी मिरर। लगातार गंगा का जल हरा होने के कारणों का पता लगाने के लिए डीएम के आदेश पर गठित पांच सदस्यीय टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है। यह टीम तीन दिनों तक गंगा जल की सैम्पलिंग कर अपनी रिपोर्ट तैयार की है। यह टीम वाराणसी से मिर्जापुर (विन्ध्याचल अप स्ट्रीम) गंगा नदी के उद्गम, स्रोत तथा गंगा घाटों तक जाकर शैवाल के कारणों की जॉच कर टीम ने संयुक्त आख्या शुक्रवार को जिलाधिकारी को सौप दी है।


रिपोर्ट में गंगा नदी में हरे शैवाल के सम्भावित कारणों के बारे में बताया गया है कि मिर्जापुर के विध्याचल में 4 एम.एल.डी. क्षमता का एसटीपी कन्वेन्सल सिस्टम (लैगुनिंग सिस्टम) पर आधारित है। एसटीपी से जनित शुद्धीकरण उत्प्रवाह का निस्तारण बसवरिया ड्रेन के माध्यम से गंगा नदी में किया जाता है। शुद्धीकृत उत्प्रवाह से हरा शैवाल गंगा नदी में मिलता है, तो वह गंगा नदी में धीरे-धीरे समय के साथ विकसित होती चली गयी। इस प्रकार 4 एम.एल.डी. क्षमता का एसटीपी विन्ध्याचल द्वारा शैवाल का मुख्य स्रोत प्रतीत होता है। 


डीएम ने बताया कि गंगा नदी में जल का प्रवाह बहुत कम है तथा जल में एलग्ल ब्लूम की वृद्धि के लिए उपयुक्त तापक्रम है, जो एलग्ल ब्लूम को विकसित करने में सहायक होता है। साथ खेतों से जनित जल अपने साथ न्यूट्रियन्स जैसे-नाइट्रोजन, फास्फोरस, यूरिया, डीएपी आदि पानी के साथ बहने के कारण भी गंगा नदी में नाइट्रोजन, फास्फोरस की मात्रा बढ़ने की सम्भावना है, जो एलग्ल ब्लूम की मात्रा बढ़ने में सहायक होती है। मिर्जापुर शहर से आंशिक एवं चुनार से जनित घरेलू मल-जल का बिना शुद्धीकृत किये निस्तारित किया जाना हैं।


समिति द्वारा जॉच आख्या में शैवाल पाये जाने के सम्भावित कारणों के आधार पर संस्तुति की गई है कि 4 एमएलडी एसटीपी विन्ध्याचल को उच्चीकरण कराया जाय एवं 04 एमएलडी एसटीपी विन्ध्याचल जो कि हरे शेवाल को गंगा नदी में बहाये जाने तथा संचालन हेतु जिम्मेदार कार्मिक को एसटीपी के सम्यक संचालन एवं रख-रखाव हेतु आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये जाने की संस्तुति की जाती है। गंगा किनारे बने सभी एसटीपी का समुचित संचालन व रख-रखाव सुनिश्चित किया जाय। गंगा नदी में गिरने वाले नगवॉ/अस्सी, खिड़कियॉ, सामनेघाट नालों को पूर्णतया टैप्ड कर रमना स्थित 50 एमएलडी क्षमता के एसटीपी में उपचारित किया जाय। इसी प्रकार रामनगर की ओर से गिरने वाले नालों को टैप कर 10 एमएलडी क्षमता के एसटीपी रामनगर में उपचारित किया जाये। मिर्जापुर शहर से आंशिक एवं चुनार से जनित घरेलू मल-जल के शुद्धीकरण हेतु एसटीपी लगाये जाने की संस्तुति की जाय। गंगा नदी में मिनिमम बहाव सुनिश्चित किये जाने हेतु ऊपर से जल छोड़ने हेतु संस्तुति प्रेषित की जाय। हरे शैवाल को खत्म किये जाने एवं हरे शैवाल के कारण जलीय जन्तुओं पर पड़ने वाले कुप्रभावों के अध्ययन बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के सम्बंधित विभाग से कराये जाने की
संस्तुति की गयी है।

  जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने समिति की जॉच आख्या के आधार पर जो मिर्जापुर एसटीपी के जिम्मेदार अधिकारी हैं, उनके विरूद्ध शासन में कार्यवाही प्रस्तावित की है एवं अन्य सुझाव एवं संस्तुतियों से सम्बन्धित अधिकारियों व विभागों को अनुपलान के लिए निर्देश दे दिए गए हैं।