काशी में बाबा के गौने का जश्न, हरिश्चंद पर खेली गई चिता भस्म की अनोखी होली...

काशी में बाबा के गौने का जश्न, हरिश्चंद पर खेली गई चिता भस्म की अनोखी होली...

वाराणसी, भदैनी मिरर। सात वार नौ त्यौहार वाली काशी अपने पुराधिपति के गौने की जश्न में आकंठ डूब गई है। बुधवार को भक्तों ने बाबा विश्वनाथ की गवना बारात निकाली और हरिश्चंद्र घाट पर चिंता भस्म की होली खेली।  


काशी मोक्षदायिनी सेवा समिति ने रविन्द्रपुरी स्थित बाबा कीनाराम स्थल से बाबा विश्वनाथ का गवना बारात उठाया। डमरूदल के सदस्यों की गर्जना के बीच हरहर महादेव का उद्घोष करते भक्त नाचते गाते हरिश्चंद्र घाट पहुंचे। इस दौरान भक्तों ने शिव के गणों का रूप धारण किया। भगवान शंकर के साथ उनके प्रिय नंदी, भृंगी, शृंगी, नाग देवता और पार्वती का रूप भी दिखाई दिया। 


वैसे तो रंगभरी एकादशी पर बाबा भोलेनाथ के गौना के अगले दिन काशी में उनके गणों के द्वारा चिता भस्म की होली की मान्‍यता है। रंगभरी एकादशी के मौके पर गौरा को विदा करा कर कैलाश ले जाने के साथ ही भगवान भोलेनाथ काशी में अपने भक्‍तों को होली खेलने और हुडदंग की अनुमति प्रदान करते हैं। बाबा के होली के हुडदंग की अनुमति के बाद ही काशी होलियाने मिजाज में आती है। 


परंपराओं में तो वैसे रंगभरी एकादशी के अगले दिन भगवान शिव के स्‍वरुप बाबा मशान नाथ की पूजा कर श्‍मशान घाट पर चिता भस्‍म से उनके गण होली खेलते हैं। लेकिन पिछले साल से रंगभरी एकादशी के दिन ही हरिश्चंद्र घाट पर चिता भस्म से होली का आयोजन शुरू हुआ। इस दौरान संस्था से जुड़े लोग उपस्थित रहे।