हर सनातनी को यज्ञशाला में आहुति अवश्य डालनी चाहिए बोले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद लक्षचंडी यज्ञ से वातावरण हो रहा है शुद्ध...

हर सनातनी को यज्ञशाला में आहुति अवश्य डालनी चाहिए बोले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद लक्षचंडी यज्ञ से वातावरण हो रहा है शुद्ध...Every Sanatani must make a sacrifice in the Yagyashala said Swami Avimukteshwaranand Lakshchandi Yagya the atmosphere is getting pure

हर सनातनी को यज्ञशाला में आहुति अवश्य डालनी चाहिए बोले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद लक्षचंडी यज्ञ से वातावरण हो रहा है शुद्ध...

वाराणसी,भदैनी मिरर। वर्षों बाद काशी में विराट लक्षचण्डी यज्ञ का आयोजन हो रहा है। इतने विशाल यज्ञ का आयोजन पिछले कई दशकों में नहीं हुआ। स्मरण करें तो याद आता है कि धर्मसमार्ट करपात्री जी महाराज ने 1958 में नगवां में गंगा किनारे करवाया था। उक्त बातें द्वारका एवं ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के शिष्य व विद्यामठ के कर्ता-धर्ता स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कही। वह केदारखंड के संकुलधारा पोखरा स्थित द्वारकाधीश मंदिर पर चल रहे 51 दिवसीय लक्षचंडी यज्ञ के 11 वें दिन यज्ञशाला के दर्शन पूजन करने पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि यज्ञ से पूरा वातावरण शुद्ध हो रहा है, यह काशीवासियों का सौभाग्य है। उन्होंने कहा कि हर सनातनी को ऐसे धार्मिक कार्यों में हिस्सा लेकर आहुति अवश्य डालनी चाहिए।

मुख्य आचार्य श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित जी के आचार्यत्व में आचार्य सुनील शास्त्री ने यज्ञाचार्यों द्वारा संकल्प करवाकर दुर्गाशप्तशती के पाठ का आरंभ करवाया उसके बाद सभी यजमानों द्वारा यज्ञ कुंड में आहुतियां दिलवायीं।  इस दौरान स्वामी प्रखर जी महाराज ने कृष्ण एकादशी का श्रद्धालुओं को महत्व बताते हुए बताया कि कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को षटतिला एकादशी भी कहते हैं। षटतिला एकादशी पर भगवान विष्णु की आराधना करने और व्रत-पूजा एवं तिल दान करने से मनुष्य को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में बताया गया है कि माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी समस्त पापों का नाश करती है। जितना पुण्य कन्यादान, हजारों वर्षों की तपस्या और स्वर्ण दान से मिलता है, उससे अधिक फल प्राणी को षटतिला एकादशी का व्रत करने से मिलता है। एकादशी व्रत करने से पालन करने पर पुण्य की प्राप्ति होती है। स्वामी प्रखर जी महाराज के शिष्य स्वामी पूर्णानंदपूरी जी ने धार्मिक आयोजनों को संपन्न करवाया।

इसके बाद सायं 7 बजे भव्य गंगा आरती की गई। जिसमें स्वामी प्रखर जी महाराज के शिष्य स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज, आचार्य गौरव शास्त्री, आत्मबोधप्रकाश ब्रह्मचारी,  काशी यज्ञ समिति के अध्यक्ष कृष्ण कुमार खेमका, सचिव संजय अग्रवाल डॉ सुनील मिश्रा, रवि प्रताप द्विवेदी, राजेश अग्रवाल चंदन सिंह,गोलू सिंह,अमित पसारी, दिशा पसारी, तनीषा अरोड़ा ,गौरव तिवारी, अंकित अग्निहोत्री, विशाल पांडेय, कुलदीप तिवारी सहित दर्जनों भक्त उपस्थित रहे।