BHU : आमरण अनशन करने VC ऑफिस पहुंचे कॉर्डियोलॉजिस्ट प्रोफेसर ओमशंकर आग्रह पर लौटे, MS पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप...
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के सर सुंदरलाल अस्पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट (MS) को पद से हटाने की मांग को लेकर अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ओम शंकर शनिवार को आमरण अनशन पर बैठने कुलपति आवास पहुंचे, लेकिन पुलिस-प्रशासन के आग्रह पर वह पुनः वापस लौट गये.
वाराणसी, भदैनी मिरर। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के सर सुंदरलाल अस्पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट (MS) को पद से हटाने की मांग को लेकर अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ओम शंकर शनिवार को आमरण अनशन पर बैठने कुलपति आवास पहुंचे, लेकिन पुलिस-प्रशासन के आग्रह पर वह पुनः वापस लौट गये.
प्रोफेसर ओम शंकर का आरोप है कि पिछले 2 सालों से ज्यादा समय से 35000 से ज्यादा हृदय रोगियों को अस्पताल में बेड खाली रहते हुए भी उनको बिस्तर नहीं मिला है. जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई है. ये बिस्तर गरीब लोगों के लिए सुपर स्पेशलिस्टी विंग में हमारे सासंद व प्रधानमंत्री ने बनवाएं थे, उनके साथ हो रही बेईमानी के खिलाफ वो आज आमरण अनशन शुरु करने जा रहे थे. उन्होंने कहा यदि विश्वविद्यालय प्रशासन अनुमति देता है, तो ठीक वरना अस्पताल में OPD चेंबर के बाहर ही आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे.
ओमशंकर ने विभाग के अध्यक्ष प्रो. ओमशंकर ने अस्पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट प्रो. केके गुप्ता पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, लगातार 2 साल से ज्यादा समय से हमने सभी अधिकारियों को जिनकी इसमें भूमिका होनी चाहिए, न्याय दिलाने में उनसे गुहार लगाई जो कि नाकाम साबित हुई है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि, इन सब के पीछे जो मूल व्यक्ति हैं वह है एक चिकित्सा अधीक्षक जो सत्यापित तौर पर ब्लड बैंक के भ्रष्टाचार के अपराधी हैं और उनको बार-बार प्रमोट करके चिकित्सा अधीक्षक फिर से बना दिया जा रहा है. इस संस्थान के अंदर जो महामना के मूल्य और आदर्श स्थापित है उन मूल्यों और आदर्शों पर स्थापित महामना के इस विश्वविद्यालय के नींव को हिलाने की कोशिश की जा रही है. इसी को बचाने के लिए हम आंदोलन कर रहे है.
प्रोफेसर ओमशंकर ने कहा, मेरी मांग है कि जो भी अपराधी चिकित्सा अधीक्षक 3 साल से ज्यादा समय से गैर संवैधानिक तरीके से इस महामना की बगिया में एक चिकित्सा अधीक्षक बनकर बैठे हैं उनको हटाया जाए. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि पहले मरीजों के खाने-पीने का इंतजाम भी होता था, लेकिन उन्होंने वह भी बंद कर दिया है और बाकी जो सुविधा थी है उसे भी. यहां जो पहले से पत्थर लगे हुए थे उसे पर आज ग्रेनाइट लगाकर उस धन का दुरुपयोग कर रहे हैं क्योंकि उसमें उनका निजी और व्यक्तिगत लाभ है. यही नहीं संस्थान के अंदर सीसीआई लैब था जो कि गरीबों को कम खर्च पर बेहतर इलाज और जांच उपलब्ध कराता था उनको उन्होंने अपने पसंद के निजी कंपनी को बेच दिया है, जिसके रिपोर्ट भी गलत आती है.
प्रोफेसर ओमशंकर ने चिकित्सा अधीक्षक पर आरोप लगाते हुए आगे कहा कि उन्हें बेड डिस्ट्रीब्यूशन का अधिकार नहीं है. यह काम निदेशक के अधीन है लेकिन फिर भी चिकित्साधीक्षक जबरन अपने पद का दुरुपयोग कर रहे है. इसलिए मैं कह रहा हूं कि वह अपराधी है उनकी वजह से हजारों मौतें हुई है . बेड खाली रहते हुए भी 35000 से ज्यादा लोगों को बेड नहीं मिला है. जिनकी जान बचाई जा सकती थी. यह वह गरीब लोगों के सामूहिक नरसंहार में शामिल है. आम व्यक्तियों की जीवन के मौलिक अधिकार और लड़ाई के लिए हम लोग यहां खड़े हैं और आमरण अनशन कर रहे हैं. अब देखते हैं कि न्याय होता है और कब होता है और कितनी जल्दी होता है.
कमेटी की अनुशंसा को दरकिनार करने का आरोप
प्रो. ओम शंकर ने कहा कि अस्पताल प्रशासन के अधिकारी, IMS-BHU के डीन-डायरेक्टर्स की भी नहीं सुनते। अक्टूबर 2023 में डीन की अध्यक्षता में कमेटी बनी। उसने सुझाव दिया कि सुपर स्पेशियालिटी ब्लॉक (SSB) बिल्डिंग का चौथा फ्लोर और पांचवां फ्लोर 9 मार्च को कार्डियोलॉजी विभाग को सौंप दिया जाए। लेकिन, अस्पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट ने अभी तक कमेटी की अनुशंसा नहीं मानी। इसके उलट, ऑन्कोलॉजी सर्जरी डिपार्टमेंट को आवंटित कर दिया गया।
उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह करते हुए कहा कि अपने संसदीय क्षेत्र में इस विश्वविद्यालय को भ्रष्टाचार मुक्त करें. यहां पर उन्होंने मरीजों को जो बेहतर स्वास्थ्य सुविधा अपने प्रेम और स्नेह से उपलब्ध कराने की कोशिश की है. आम जनता तक वह सुविधा पहुंचे.