दिवाली पर निकला दिवाला: शहर की वायु गुणवत्ता 8 गुना प्रदूषित, रविन्द्रपुरी रहा साफ, कोविड़ से कमजोर हो चुके फेफड़ों पर घातक असर...
पिछले पांच वर्षों से क्लाइमेट एजेंडा शहर के प्रदूषण को लेकर कार्य कर रहा है। समय-समय से जनता के स्वास्थ्य को लेकर आगाह करता रहा है। दीपावली के अगले दिन वायु की गुणवत्ता को लेकर फिर सूची जारी की है।
वाराणसी, भदैनी मिरर। दिपावली के दिन वायु गुणवत्ता को लेकर इस वर्ष भी क्लाइमेट एजेंडा ने निगरानी की। निगरानी के आधार पर जारी रिपोर्ट में प्राप्त आंकड़ों के अनुसार शिवपुर सबसे अधिक प्रदूषित रहा, जबकि सोनारपुरा, पांडेयपुर और मैदागिन क्रमशः दूसरे, तीसरे व चौथे स्थान पर सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्र रहे। पिछली दिवाली की तरह इस बार भी रविन्द्रपुरी क्षेत्र तुलनात्मक रूप से सबसे साफ़ रहा। साथ ही साफ आबोहवा के मामले में लंका क्षेत्र भी रविन्द्रपुरी के बाद दूसरे स्थान पर रहा।
पटाखों से शहरवासियों का है प्यार
निगरानी के दौरान प्राप्त पी एम 10 और पी एम 2.5 के आंकड़े यह बताते हैं कि पटाखों से शहरवासियों के प्यार ने बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया, बल्कि कोविड व अन्य सांस रोगों (सी ओ पी डी) के कारण पहले से ही कमजोर लंग्स से जूझ रहे व्यक्तियों को खतरनाक स्थितियों से भी जूझना पडा। शहर के दस विभिन्न इलाकों में दिवाली की रात 2 बजे से अगली सुबह 8 बजे तक वायु गुणवत्ता जांच करने वाली मशीनों के सहारे यह निगरानी की गयी।
शिवपुर सबसे ज्यादा प्रदूषित
प्राप्त आंकड़ों के बारे में बताते हुए क्लाइमेट एजेंडा की मुख्य अभियानकर्ता एकता शेखर ने बताया “पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी दीपावली पर पी एम 10 मुख्य प्रदूषक तत्व रहा। बनारस के शिवपुर क्षेत्र में इस दिवाली पीएम 10 अधिकतम 798 यूनिट प्रति घनमीटर के आंकड़े तक पहुंचा जो कि भारत सरकार के अनुमन्य स्तर की तुलना में 8 गुना अधिक प्रदूषित है। इस इलाके में पी एम 2.5 का स्तर 401 पाया गया जो अनुमन्य स्तर की तुलना में 6.5 गुना अधिक प्रदूषित है। इसी प्रकार सोनारपुरा में पीएम 10 और पीएम 2.5 क्रमशः 7 एवं 6 गुना अधिक प्रदूषित पाया गया। तीसरे नंबर पर पांडेयपुर क्षेत्र रहा जो कि अनुमन्य स्तर की तुलना में लगभग 7 गुना (पीएम 10), व 6 गुना (पीएम 2.5) अधिक प्रदूषित रहा।