मुख्तार की मौत को लेकर सरकार को घेरा! अखिलेश बोले- UP में कानून-व्यवस्था शून्यकाल में, मायावती ने की जांच की मांग...
पूर्वांचल के एक बड़े माफिया का अंत हो गया है. 90 के दशक से शुरु हुई बादशाहत वर्ष 2017 के पहले तक चरम पर थी.
वाराणसी, भदैनी मिरर। पूर्वांचल के एक बड़े माफिया का अंत हो गया है. 90 के दशक से शुरु हुई बादशाहत वर्ष 2017 के पहले तक चरम पर थी. यूपी में योगी सरकार बनने के बाद मुख्तार का खौफ कम होने लगा या यूं कहे कि मिट्टी में मिलने लगा. भले ही परिजनों ने बांदा जेल में माफिया मुख्तार को स्लो प्वाइजन देने का आरोप लगाते रहे हों लेकिन चिकित्सकों ने हार्ट अटैक से मौत की पुष्टि की है. कुल मिलाकर अपराध के एक अध्याय का अंत वैसे ही हुआ जैसे एक अपराधी का होता है. पिता के मौत के बाद अस्पताल पहुंचे उमर अंसारी ने साफ कहा कि मुझे जिला प्रशासन पर भरोसा नहीं है, जो कुछ भी करना होगा न्यायपालिका के माध्यम से होगा.
मुख्तार के मौत के बाद अखिलेश ने सरकार पर सवाल खड़ा किए है. अखिलेश ने सोशल साइट एक्स पर लिखा है -
हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या कैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा: थाने में बंद रहने के दौरान जेल के अंदर आपसी झगड़े में जेल के अंदर बीमार होने पर न्यायालय ले जाते समय अस्पताल ले जाते समय अस्पताल में इलाज के दौरान झूठी मुठभेड़ दिखाकर झूठी आत्महत्या दिखाकर किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह गैर कानूनी हैं। जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।
उप्र 'सरकारी अराजकता' के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
वहीं, मायावती ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि - मुख़्तार अंसारी की जेल में हुई मौत को लेकर उनके परिवार द्वारा जो लगातार आशंकायें व गंभीर आरोप लगाए गए हैं उनकी उच्च-स्तरीय जाँच जरूरी, ताकि उनकी मौत के सही तथ्य सामने आ सकें। ऐसे में उनके परिवार का दुःखी होना स्वाभाविक। कुदरत उन्हें इस दुःख को सहन करने की शक्ति दे।
आरोप-प्रत्यारोप के बीच अपराध से नफरत करने वाले समुदाय और जो मुख्तार के खूनी रंजिश के शिकार हुए है, उनके घर खुशियों का माहौल है. 29 नवंबर 2005 का दिन पूर्वांचल के लोगों के जेहन में आज भी याद है, जब बीजेपी के विधायक रहे कृष्णानंद राय सहित सात लोगों को गोलियों से छलनी कर दिया. उस समय आरोप मुख्तार गैंग पर लगा था और 500 राउंड गोलियां चलाई गई थी. हत्याकांड में मारे गए सात लोगों के शरीर से लगभग 67 गोलियां बरामद हुई थी. आज दिवंगत कृष्णानंद राय का परिवार बाबा श्री काशी विश्वनाथ का दर्शन किया. पत्नी अलका राय ने कहा कि आज बाबा विश्वनाथ ने न्याय दे दिया है.
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