पूर्वांचल के डॉन मुख्तार अंसारी की मौत, 65 मुकदमें थे दर्ज, देखें पूरी क्राइम कुंडली...
पूर्वांचल के डॉन मुख्तार अंसारी की मौत हो गई है. बांदा जेल में हार्ट अटैक आने के बाद जेल अस्पताल के चिकित्सकों ने प्रारंभिक इलाज शुरु की लेकिन स्थिति चिंताजनक होने के बाद बांदा मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया था. सूचना मिलते ही डीएम और एसपी बांदा अस्पताल पहुंचे गए थे. मुख्तार की तबियत को लेकर डीजीपी को पल-पल की अपडेट देते रहे. मौत की पुष्टि के बाद लखनऊ सीएम आवास पर बैठक हुई.
लखनऊ, भदैनी मिरर। पूर्वांचल के डॉन मुख्तार अंसारी की मौत हो गई है. बांदा जेल में हार्ट अटैक आने के बाद जेल अस्पताल के चिकित्सकों ने प्रारंभिक इलाज शुरु कर दी. स्थिति चिंताजनक होने के बाद बांदा मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया. जहां पहले उसे आईसीयू और फिर सीसीयू में शिफ्ट किया गया था, लेकिन नौ डॉक्टरों की टीम कोशिश करने के बाद भी बचाया नहीं जा सका. पुलिस मुख्यालय ने बांदा, मऊ और गाजीपुर सहित पूरे प्रदेश में धारा 144 लागू कर दिया गया है. अस्पताल द्वारा मौत की पुष्टि के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास पर बैठक की गई. जिसमें डीजीपी यूपी प्रशांत कुमार, एडीजी सुरक्षा व्यवस्था मौजूद रहे. तत्काल जिले के अफसरों, जिले के पुलिस आईटी सेल के आलावा प्रदेश के आईटी सेल को सोशल मीडिया पर निगरानी रखने के निर्देश दिए गए है. वहीं, सख्त हिदायत दी गई है कि किसी ने भी कानून व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश की तो कड़ी करवाई की जायेगी.
जरायम की दुनिया से राजनीति में कदम रखने वाले मुख्तार अंसारी का गढ़ पूर्वांचल माना जाता रहा है. मुख्तार के गुनाहों की लिस्ट लंबी है. यूपी पुलिस के मुताबिक देशभर में मुख्तार अंसारी पर करीब 65 केस दर्ज हैं. मुख्तार अंसारी का पूर्वांचल में 90 के दशक से रसूख शुरु हुआ और यूपी में योगी सरकार बनने से पहले तक 2017 तक प्रभावी रही. योगी सरकार ने पंजाब की रोपड़ जेल में बंद मुख्तार को यूपी में बांदा की जेल में स्थानांतरित किया गया.
वर्ष 1963 में गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में जन्म लेने वाला मुख्तार अंसारी का पूर्वांचल में वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, जौनपुर और मऊ में एक दौर था जब मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी. साल 1996 में मुख्तार अंसारी खुद चुनाव मैदान में उतर आया. मुख्तार अंसारी पहली बार में ही मऊ सीट से विधानसभा चुनाव जीत कर पूर्वांचल की राजनीति का बड़ा नाम हो गया था. मुख्तार रिकॉर्ड पांच बार इस सीट से विधायक रहा. इसके साथ ही मुख्तार का कद अपराध की दुनिया में तेजी से बढ़ता जा रहा था. खूनी रंजिश और गैंगवार मुख्तार के लिए खेल बनता जा रहा था. इसके साथ ही मुख्तार के वर्चस्व को भाजपा के दिग्गज नेता कृष्णानंद राय ने चुनौती दी थी, जिसके बाद जेल में बैठकर मुख्तार ने साजिश रची और कृष्णानंद राय की हत्या में शामिल रहा. इसके अलावा मुख्तार 2005 में हुए मऊ दंगे में एक बार फिर उनका नाम सामने आया. इसमें मुख्तार अंसारी पर दंगे भड़काने का आरोप लगा था.