पूर्व मंत्री का फर्जी मुख्तारनामा बनाने वाले 6 आरोपितों को नहीं मिली अग्रिम जमानत, अधिवक्ताओं ने जोरदार किया विरोध

पूर्व मंत्री कैलाश नाथ चौरसिया का फर्जी मुख्तारनामा तैयार कर करोड़ों रुपए हड़पने के मामले में छः आरोपितों को कोर्ट से राहत नहीं मिली.

पूर्व मंत्री का फर्जी मुख्तारनामा बनाने वाले 6 आरोपितों को नहीं मिली अग्रिम जमानत, अधिवक्ताओं ने जोरदार किया विरोध

वाराणसी, भदैनी मिरर। पूर्व मंत्री कैलाश नाथ चौरसिया का फर्जी मुख्तारनामा तैयार कर करोड़ों रुपए हड़पने के मामले में छः आरोपितों को कोर्ट से राहत नहीं मिली. विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम प्रथम) की अदालत ने आरोपित ओमप्रकाश चौरसिया, उसके दो पुत्रों दीपक चौरसिया, धीरज चौरसिया के साथ ही उसके भाई प्रदीप चौरसिया, लवकेश सिंह व सकेन्द्र सिंह की अग्रिम जमानत अर्जी मामले की गंभीरता की देखते हुए खारिज कर दी. अदालत में पूर्व मंत्री की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज यादव, नरेश यादव व अभियोजन की ओर से एडीजीसी श्रवण कुमार रावत ने पक्ष रखा.

अभियोजन पक्ष के अनुसार मिर्जापुर जनपद के चौक त्रिमुहानी निवासी पूर्व मंत्री कैलाश नाथ चौरसिया ने लक्सा थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. आरोप था कि उसने लक्सा क्षेत्र में स्थित तीन भवनों को खरीदा था. जिसमें सरकारी अभिलेखों में उसका और उसके परिवार का नाम भी उक्त संपत्तियों पर दर्ज है. वह मिर्जापुर में ही परिवार समेत रहता है. इस बात का फायदा उठाकर चौक त्रिमुहानी, मिर्जापुर निवासी ओम प्रकाश चौरसिया, उसके दो पुत्रों दीपक चौरसिया, धीरज चौरसिया के साथ ही उसके भाई प्रदीप चौरसिया, लवकेश सिंह व सकेन्द्र सिंह ने आपस में मिलीभगत करते हुए पूर्व मंत्री कैलाश चौरसिया व उनके परिजनों के नाम से खरीदे गये उक्त भवनों का कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से जालसाजी करते हुए एक फर्जी मुख्तारनामा उनके फर्जी हस्ताक्षर बनाकर 11 जनवरी 2007 को अपने नाम से करा लिया. इसकी जानकारी होने पर जब वादी ने 12 अप्रैल 2024 को उक्त मुख्तारनामा का मुआयना करवाया तो पता चला कि उस मुख्तारनामा पर उनके व उनके परिजनों के फर्जी हस्ताक्षर बनाये गये है, जबकि उनलोगों ने कहीं कोई हस्ताक्षर ही नहीं किये थे. इतना ही नहीं इस मुख्तारनामा के जरिए आरोपितों ने आपस में मिलीभगत करके पूर्व मंत्री व उनके परिजनों के नाम से 100 रुपए के स्टॉम्प पेपर पर अलग-अलग पट्टा विलेख निष्पादित कर उसमें अर्जित किरायेदारी का गबन कर लिये. इसी तरह ओमप्रकाश चौरसिया ने अपने पुत्रों को उनके सम्पत्ति पर बने होटल में रेस्टारेंट चलाने के लिए भी सबलीज पर दे दिया, जबकि सवलीज पर देने का उसको अधिकार ही नहीं है. इस तरह आरोपितों ने आपस में मिलीभगत करके धोखाधड़ी व जालसाजी करते हुए फर्जी मुख्तारनामा तैयार कर करोड़ों रुपए का हेरफेर किया गया. जिसमें ओमप्रकाश चौरसिया, उसके दो पुत्रों दीपक चौरसिया, धीरज चौरसिया के साथ ही उसके भाई प्रदीप चौरसिया, लवकेश सिंह व सकेन्द्र सिंह सभी शामिल हैं. इस मामले में लक्सा पुलिस ने सभी आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. जिसके बाद आरोपितों ने अदालत ने अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दी थी.