#परंपरा: सेहरा बांधकर दूल्हा रुप में तैयार हुए बाबा विश्वनाथ, गौरा संग रचाएंगे विवाह...

महाशिवरात्रि पर परंपरा निभाने वाली काशी बाबा के विवाहोत्सव के लिए तैयार है.

#परंपरा: सेहरा बांधकर दूल्हा रुप में तैयार हुए बाबा विश्वनाथ, गौरा संग रचाएंगे विवाह...

वाराणसी,भदैनी मिरर। बाबा श्री काशी विश्वनाथ विवाह से पूर्व होने वाली काशी की पारंपरिक रस्मों में पंचबदन रजत प्रतिमा बंसत पंचमी  पर तिलकोत्सव के बाद विजया एकादशी गुरूवार को तेल-हल्दी की रस्म के बाद शनिवार को महाशिवरात्रि पर बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ और माता गौरा की प्रतिमा का विशेष वर-वधु के रूप में टेढ़ी नीम स्थित महंत आवास पर राजषी श्रृंगार किया गया। दूल्हा बने बाबा की प्रतिमा को सेहरा लगाया गया था वही माता गौरा को मथुरा से मंगवायी गई खास लाल लहंगे में सजाया गया। 

सुबह ब्रह्ममुहूर्त में प्रतिमाओं का रुद्राभिषेक किया गया। पं. वाचस्पति तिवारी ने सपत्नीक रुद्राभिषेक किया। दोपहर में फलाहर का भोग लगाया गया। भोग आरती के बाद संजीवरत्न मिश्र ने बाबा एवं माता की चल प्रतिमा का राजषि श्रृंगार किया कर विशेष आरती उतारी। सायंकाल मंगलगीतों के साथ परंपरा की शुरुआत हुई। इस मौके उपस्थित श्रद्धालु महिलाओं ने मंगल गीत गाकर माहौल भक्तिमय कर दिया। 

वहीं रजत प्रतिमाओं के साथ सभी निजी प्रतिमाओं को महाशिवरात्रि पर पूजन के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। महेंद्र प्रसन्ना ने शहनाई की मंगल ध्वनि से परिसर गुंजायमान हुआ। वहीं साढ़े तीन सौ वर्षो से चली आ रही लोकपरंपरा के अनुसार महंत डॉ. कुलपति तिवारी बाबा व गौरा की प्रतिमा की  विवाह की परंपरा का निर्वहन कर आरती करेंगे। कार्यक्रम के बाद रात्रि मे मंदिर में चारों प्रहर की विशेष आरती पं.शशिभूषण त्रिपाठी गुड्डू महाराज संपन्न कराएंगे। 

महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया कि दोपहर में मातृका पूजन से लेकर विवाह तक की परंपरा का निर्वाह हुआ। इसके बाद करीब चार सौ साल पुराने स्फटिक के शिवलिंग को आंटे से चौक पूर कर पीतल की परात में रखा गया। बाबा के विवाह की प्रक्रिया सुबह पांच बजे पूरी होगी। उन्होंने बताया कि विवाह के बाद  3 मार्च को रंगभरी (अमला) एकादशी पर माता के गौना की रस्म निभाई जाएगी।