संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में मेडल पाकर चहके छात्र, बोलीं राज्यपाल- आम जनता को भी करें संस्कृत भाषा का जानकार बनाने का प्रयास...
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आंनदीबेन पटेल की अध्यक्षता में शनिवार को सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का 40वां दीक्षान्त समारोह सम्पन्न हुआ।
वाराणसी, भदैनी मिरर। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आंनदीबेन पटेल की अध्यक्षता में शनिवार को सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का 40वां दीक्षान्त समारोह सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर राज्यपाल ने उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को उज्ज्वल भविष्य की बधाई देते हुए सभी को आगामी नववर्ष-2023 की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर राज्यपाल ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश को मानद उपाधि के लिए बधाई देते हुए कोरोना काल में ऑनलाइन कोर्ट चलाने के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत के अकेले न्यायाधीश अरविंद बोबड़े हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र में भाषण के लिए आमंत्रित किया गया था।संस्कृत को जन-जन की भाषा बनाने के तरफ मजबूत प्रयास होना चाहिये।
युवा पीढ़ी को संस्कृत अध्ययन से होगा लाभ
राज्यपाल ने संस्कृत भाषा को दुर्लभ ज्ञान-विज्ञान की जानकारी का स्रोत बताया। उन्होंने कहा कि आम जनता को भी संस्कृत भाषा का जानकार बनाने का प्रयास होना चाहिए। उन्होंने नई शिक्षा नीति में संस्कृत की प्रासंगिकता बढ़ने का उल्लेख करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि इससे युवा पीढ़ी को संस्कृत अध्ययन-अध्यापन में लाभ होगा।
कोरोना की नई वैक्सीन पर की चर्चा
उन्होंने भारत की स्वदेशी वैक्सीन कोविशील्ड और को-वेक्सीन की चर्चा करते हुए कोरोना के रोकथाम के लिए नवविकसित स्वदेशी नेजल वैक्सीन इनकोवैक के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने नेजल वैक्सीन को बूस्टर डोज के तौर पर अपने कोविड-19 वैक्सीनेशन प्रोग्राम में शामिल कर लिया है।
मुख्य अतिथि ने दी शुभकामनाएं
समारोह में मुख्य अतिथि एवं सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद अरविन्द बोबडे ने अनुभव विद्यार्थियों से साझा किये और उनको आगामी जीवन में सफलता के लिए शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा गया कि यहां 232 वर्षों से यहां सारस्वत साधना में भारतीय मनीषियों के साथ कई विदेशी विद्वान भी लगे हुए हैं। उन्होंने अपने पुराने स्मरण सुनाते हुए कहा कि जब वो महाराष्ट्र नैशनल ला कॉलेज के कुलपति थे तब उन्होंने न्याय शास्त्र और मीमांसा में नये कोर्स चलाये थे। उन्होंने 1949 के संविधान सभा का एक पत्र का भी जिक्र किया जो उनको मिला जिसमें डॉ अम्बेडकर के साथ कई सदस्यों ने संस्कृत को आधिकारिक भाषा बनाने की बात उठाई थी।संस्कृत बहुत ही विस्तृतता समेटे हुए है जिसमें किसी भी विचार, साहित्य तथा विज्ञान को प्रस्तुत करने की जबरदस्त योग्यता है।
वितरित हुई 14702 डिग्रियां
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 हरेराम त्रिपाठी ने समारोह में विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या प्रस्तुत की। दीक्षान्त समारोह में कुल 14702 डिग्रियों का वितरण विद्यार्थियों के बीच होगा। सर्वाधिक 9 मेडल नव्य व्याकरण से आचार्य करने वाले अभिषेक शुक्ल को दिया गया। जिसमें 8 स्वर्ण तथा 1 रजत पदक शामिल है। सामवेद के शास्वत निर्भय को 4 स्वर्ण पदक, धर्म शास्त्र के शिवशंकर उपाध्याय को 3 स्वर्ण पदक तथा शिवम शुक्ला, स्मिता, रामप्रवेश त्रिपाठी, ज्ञानेन्द्र मिश्र, आराधना पाण्डेय अरुण महतो, मयंक जैन, रविशंकर पांडेय, प्रिंस कुमार यादव, अर्चना उपाध्याय, वैष्णवी सहित कुल 31 विद्यार्थियों को कुलाधिपति द्वारा स्वर्ण पदक प्रदान किया गया।